कभी था IAS बनने का सपना...महाकुंभ में जागा वैराग्य, 13 साल की राखी ने छोड़ा घर-संसार बनी साध्वी

Mahakumbh Sadhvi: आगरा की 13 वर्षीय राखी ने महाकुंभ में वैराग्य की प्रेरणा पाकर अपना घर और संसार त्याग दिया. एक समय पर राखी का सपना IAS अधिकारी बनने का था. प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान जूना अखाड़ा में प्रवेश करते हुए, वह साध्वी गौरी बन गई. राखी के परिवार ने यह परिवर्तन देखा तो वे चकित हुए, लेकिन बेटी की खुशी में अपनी खुशी ढूंढ़ ली.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Mahakumbh Sadhvi: आगरा की 13 वर्षीय राखी, जो कभी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाने का सपना देखती थी, ने महाकुंभ में वैराग्य की प्रेरणा पाकर अपना घर-संसार त्याग दिया. प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान जूना अखाड़ा में प्रवेश करते हुए, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वह साध्वी गौरी बन गई. राखी ने गेरुआ वस्त्र धारण कर शेष जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित करने का प्रण लिया है.

राखी के माता-पिता और परिवार ने इस परिवर्तन को देखा तो वे चकित जरूर हुए, लेकिन बेटी की खुशी में उन्होंने अपनी खुशी ढूंढ़ ली. साध्वी गौरी ने परिवार और मित्रों के मोह को त्यागकर एक नई आध्यात्मिक राह चुनी है, जो उनके परिवार और दोस्तों के लिए अप्रत्याशित और भावुक कर देने वाला है.

साध्वी बनने का सफर

राखी, जो आगरा के एक प्रतिष्ठित पेठा व्यवसायी परिवार से आती हैं, नौवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थीं. महाकुंभ में घुमते हुए, उन्होंने अखाड़े के श्रीमहंत कौशल गिरि के मार्गदर्शन में सन्यास धारण किया. महंत कौशल गिरि, राखी के पिता दिनेश सिंह के ममेरे भाई हैं. वैदिक परंपराओं का पालन करते हुए, कौशल गिरि ने उन्हें जूना अखाड़ा में शामिल कर "गौरी" नाम दिया.

माता-पिता की सहमति

राखी के माता-पिता, दिनेश सिंह और रीमा धाकरी, इस निर्णय से चौंक गए, लेकिन अपनी बेटी की दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने झुक गए. राखी की छोटी बहन निक्की अपनी दीदी के इस बदलाव से भावुक हो गई है. वहीं, माता-पिता ने इसे अपनी बेटी की खुशी मानकर स्वीकार कर लिया.

लोगों ने किया समझाने का प्रयास

महाकुंभ में राखी के इस निर्णय ने परिवार और रिश्तेदारों को चौंका दिया. दादा-दादी, नाना-नानी, मौसी, और यहां तक कि स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल पीसी शर्मा ने उन्हें समझाने की कोशिश की. राखी की सबसे करीबी सहेली लक्षिता ने भी फोन पर बहुत रोते हुए उसे रोकने का प्रयास किया. लेकिन राखी अपने निर्णय पर अडिग रही.

साध्वी गौरी का नया संकल्प

राखी ने स्वीकार किया कि शुरुआत में साधु-संतों की धुनी रमाते हुए जीवनशैली देखकर उन्हें घबराहट हुई. लेकिन चौथे दिन उनके मन में वैराग्य का भाव जागा और उन्होंने अपनी दिशा तय कर ली. साध्वी गौरी ने कहा, "अब तो सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए जीना और मरना है."

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09 January 2025, 02:49 PM IST

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