Explainer: जानने की जिज्ञासा ने निकलवाया कॉलेज से बाहर, आगे चलकर बने महान दार्शनिक

Osho Death Anniversary: ओशो को हर हिंदी और अंग्रेजी भाषी लोग पसंद करते थे. ओशो बहुत ही खुले विचारों वाले व्यक्ति थे, जिसके कारण वह अक्सर विवादों में रहे हैं.

Shabnaz Khanam
Edited By: Shabnaz Khanam

Osho Death Anniversary: रजनीश, जिन्हें ओशो या आचार्य रजनीश के नाम से भी जाना जाता है. उनका असल नाम चंद्र मोहन जैन था, जिनका जन्म 11 दिसंबर, 1931 को कुचवाड़ा (अब मध्य प्रदेश में) में हुआ था और उनकी मृत्यु 19 जनवरी, 1990 को पुणे में हुई थी. ओशो एक भारतीय आध्यात्मिक नेता, एक दार्शनिक थे जिन्होंने पूर्वी रहस्यवाद, व्यक्तिगत भक्ति और यौन स्वतंत्रता के व्यापक सिद्धांत का प्रचार किया. 

बचपन से ही थे जिज्ञासू

'द ल्यूमिनस रिबेल लाइफ स्टोरी ऑफ ए मेवरिक मिस्टिक' के मुताबिक, ओशो का बचपन अन्य बच्चों की तरह ही था, लेकिन जो चीज उन्हें बाकियों से अलग बनाती थी, वह थी उनकी जिज्ञासा. ओशो बचपन से ही प्रश्न पूछते थे, उन्हें अपने आस-पास की हर चीज़ के बारे में जानने की इच्छा थी. उन्हें बचपन से ही लोगों को जानने में विशेष रुचि थी. शायद यही कारण था कि वे आगे चलकर एक महान दार्शनिक बने. 

उनके सवालों से होते थे परेशान  

बचपन से ही सभी को सवालों से घिरे रखने वाले ओशो से लोग तंग आ जाते थे. एक बार जब वह कॉलेज में थे तो एक प्रोफेसर ने उनके सवालों से परेशान होकर ओशो से शिकायत कर दी, जिसके बाद उन्हें बुलाया गया. मामला इसलिए बढ़ गया क्योंकि प्रोफेसर ने कहा था कि या तो मैं यहां रहूंगा या चंद्रमोहन जैन यहां रहेंगे. इसमें प्रिंसिपल नहीं चाहते थे कि उनके प्रोफेसर जाएं, इसके लिए चंद्रमोहन को इस शर्त के साथ कॉलेज से निकाल दिया गया कि उन्हें दूसरी जगह दाखिला दिया जाएगा. 

सेक्स को लेकर करते थे खुलकर बात

ओशो को हर हिंदी और अंग्रेजी भाषी लोग पसंद करते थे. ओशो बहुत ही खुले विचारों वाले व्यक्ति थे, जिसके कारण वह अक्सर विवादों में भी रहते थे. वहीं उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि हर वर्ग के लोग उन्हें सुनने आते थे. कहा जाता है कि जो भी उनसे एक बार मिलता था वह उनका शिष्य बन जाता था. 'माई लाइफ इन ऑरेंज, ग्रोइंग अप विद द गुरु' किताब में लिखा था कि ओशो की किताब 'संभोग से समाधि' को लोगों ने एक विवादित किताब माना था. इसका विरोध करने की वजह थी कि ओशो ने इसमें सेक्स को लेकर खुलकर चर्चा की थी, जिसका बहुत विरोध भी किया गया. 

अस्थमा और पीठ में दर्द की समस्या

लोकप्रियता के साथ-साथ ओशो की बीमारियाँ भी बढ़ने लगीं. वह एलर्जी, अस्थमा और पीठ दर्द जैसी बीमारियों से पीड़ित थे. इसके अलावा सबसे गंभीर बात ये थी कि उन्हें परफ्यूम से एलर्जी थी, जिसके बाद परेशानियां बढ़ने लगीं. हालात ऐसे थे कि उनके पास आने वाले हर शख्स की पहले जांच की जाती थी कि उसने किसी तरह का परफ्यूम लगाया है या नहीं. इसके लिए हर व्यक्ति को सूँघा गया जात था.

58 साल की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

इस महान शख्सियत ने 19 जनवरी 1990 को 58 साल की उम्र में अपने प्राण त्याग दिए। ओशो की समाधि उनके पुणे स्थित घर 'लाओ ज़ो हाउस' में बनाई गई थी, जिस पर लिखा था कि 'ओशो, जो कभी पैदा नहीं हुए, कभी नहीं मरे.'

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19 January 2024, 12:40 PM IST

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