Papankusha Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बेहद खास महत्व है. वैसे तो हर महीने में एकादशी व्रत मनाया जाता है. लेकिन अश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी का महत्व बेहद खास है. इस एकादशी को पापांकुशा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि, इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा साथ में करने से जीवन के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं. इसके अलावा पापांकुशा एकादशी करने से जीवन में किए गए सभी पापों से भी मुक्ति मिलती है.शास्त्रो में पापांकुशा एकादशी की पूजा कथा के बिना अधूरी मानी जाती है.
प्राचीन काल में विंध्य नामक पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया निवास करता था. वह अत्याचारी स्वभाव का था. उसका सारा समय दुष्टता, लूटपाट, मद्यपान और गलत संगति कर्मों में ही बीत जाता था. जब जीवन के अंतिम वक्त में यमराज के दूत बहेलिया को ते जाने के लिए आया और उससे कहा कि, कल तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन है कल हम तुम्हें लेने आएंगे. यमदूत के इस बात को सुनकर बहेलिया बहुत ज्यादा डर गया और महर्षि अंगिरा के आश्रम में जा पहुंचा फिर महर्षि अंगिरा के पैरों पर गिरकर प्रार्थना करने लगा. बहेलिया ने महर्षि अंगिरा से कहा मैंने अपने सारा जीवन पाप कर्म करने में ही बिता दिया. कृपया कर मुझे कोई ऐसा उपाय बता दीजिए जिससे मेरे सारे पाप खत्म हो जाए और मुझे मोक्ष की प्राप्ति हो. बहेलिया के निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पड़ने वाली पापांकुशा एकादशी के पूरे विधि विधान से व्रत रखने को कहा. महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उसने एकादशी का व्रत किया और अपने सारे बुरे कर्मों से छुटकारा पा लिया. इस व्रत पूजन के फल और भगवान की कृपा से बहेलिया विष्णु लोक को गया. वहीं जब यमराज के दूत ने ये चमत्कार देखा तो बहेलिया को अपने साथ लिए बिना ही यमलोक वापस लौट गया.
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियों पर हम किसी भी तरह का दावा नहीं करते हैं कि ये पूर्णतया सत्य और सटीक है. इस व्रत से जुड़े किसी भी जानकारी के लिए विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें. First Updated : Tuesday, 24 October 2023