Parshuram Jayanti 2023: भगवान श्री हरि विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी की जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार भी मनाया जाता है। इस साल 22 अप्रैल को पूरे देश में परशुराम जयंती मनाई जाएगी इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार की पूजा करने का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ परशुराम जी का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा करने से पहले मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें उसके बाद एक चौकी लगाकर उस पर कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और परशुराम जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
भगवान को पुष्प, अक्षत और अन्य पूजा की चीजें चढ़ाएं उसके बाद भगवान को भोग लगाए और धूप दीप दिखाकर आरती गाए।
कल यानी 22 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी, कल तृतीया तिथि की शुरुआत पूर्वाह्न 7 बजकर 49 मिनट पर होगी और समाप्ती 23 अप्रैल को 7 बजकर 47 मिनट पर होगी।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम को जामदग्नेय, वीर राम, राम भार्गव भी कहा गया है। आस्था की माने तो भगवान परशुराम अभी भी धरती पर मौजूद है इसलिए भगवान राम और कृष्ण के विपरीत उनकी पूजा नहीं की जाती है। दक्षिण भारत में उडुपी के पास पजका के पवित्र स्थान पर भगवान परशुराम का मंदिर हैै जो उनका स्मरण करता है। इसके अलावा भारत के पश्चिमी तट पर भगवान परशुराम कई मंदिर है।
धार्मिक ग्रंथों में 8 महापुरुषों का वर्णन किया गया है जिन्हें अमर माना जाता है। इनमें से वीर बजरंगी हनुमान जी, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, महर्षि वेदव्यास, परशुराम जी, ऋषि मार्कण्डेय, राजा बलि और विभीषण शामिल हैं।
महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार है। हालांकि जन्म के समय परशुराम जी का नाम राम रखा गया था, वह महादेव के परम भक्त थे, पर्वतों पर जाकर कठोर तपस्या किए जिसके बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर परशुराम जी को कई शस्त्र दिए जिसमें से एक परशु भी था, भगवान शिव से परशु मिलने के बाद उनका नाम परशुराम पड़ गया ।
भगवान श्री हरि के आठवें रूप श्री कृष्ण को परशुराम जी ने सुदर्शन चक्र ये कहते हुए दिया था किअब यह यूग आपका है। भगवान कृष्ण, जब शिक्षा ग्रहण करके लौट रहे थे तब उनकी मुलाकात परशुराम से हुई थी तब उन्होंने सुदर्शन चक्र श्री कृष्ण को दुष्टों का नाश करने के लिए दिया था।
भगवान परशुराम जी बहुत क्रोधित और क्रूर थे, कहा जाता है कि परशुराम जी का क्रोध ऐसा था कि उन्होंने धरती पर बढ़ रहे अत्याचार को रोकने के लिए 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। अपने पिता की अज्ञा की मान रखने के लिए भगवान परशुराम ने अपनी माता रेणुका का वध कर दिया था हालांकि बाद में अपने पिता से वरदान मांग कर उन्हें पुन: जीवित भी कर लिया था। First Updated : Friday, 21 April 2023