मृत्यु के बाद क्या होता है, आत्मा कहां जाती है तर्पण से जुड़ी है ये पूरी बात

Pitru Paksha 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल भाद्रपद महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है . पितृपक्ष का पहला श्राद्ध है 2 अक्टूबर को पितृपक्ष का समापन होगा तो वहीं पितृ पक्ष के 15 दिनों के दौरान 2 ग्रहण भी लग रहा है. पुराणों में भी आत्मा की गति और मुक्ति को लेकर उल्लेख मिलता है. कहा गया कि यदि किसी सामान्य व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा 12 दिन तक उस स्थान पर रहती है.

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Pitru Paksha 2024:  सनातन धर्म में पितृ पक्ष काफी महत्व माना जाता है, पितृपक्ष में लोग पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा- अर्चना करते हैं, इसके साथ ही तरह-तरह के उपाय भी करते हैं. साथ ही अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध ,तर्पण जैसे कर्मकांड करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृलोक से धरतीलोक पर आते हैं. 

अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर मृत्यु के बाद आत्मा की मुक्ति कैसे होती है? इस पर प्राचीन शास्त्रों में कई बातें कही गई हैं. गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण सहित अन्य धर्म शास्त्रों में आत्मा की गति और मुक्ति का विस्तार से वर्णन है, जो व्यक्ति के कर्मों के आधार पर निर्धारित होता है.

पुराणों में क्या बताया गया

गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, विष्णु पुराण और पद्म पुराण जैसे शास्त्रों में भी आत्मा की गति और मुक्ति को लेकर उल्लेख मिलता है. कहा गया कि यदि किसी सामान्य व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा 12 दिन तक उस स्थान पर रहती है. 13वें दिन से उसकी यात्रा यमलोक की यात्रा शुरू होती है. यह यात्रा आत्मा के कर्मों के आधार पर तय होती है.

योगियों को नहीं भोगनी होगी यातनाएं

धर्मनिष्ठ व्यक्ति की आत्मा मृत्यु के बाद उसके सभी कर्मों और पापों से मुक्त हो जाती है और उसे यमदूतों का सामना नहीं करना पड़ता. योगियों के लिए यह प्रक्रिया अलग होती है, वे सीधे उर्ध लोकों में जाते हैं. लेकिन, जो लोग सामान्य कर्मों में बंधे होते हैं, उन्हें यमलोक की यात्रा करनी पड़ती है.

प्रेतकल्प के अनुसार मुक्ति यात्रा

 गरुड़ पुराण के प्रेतकल्प में ये बताया गया है कि आत्मा को यमलोक तक पहुंचने में 348 दिन लगते हैं. यमलोक और मृत्युलोक (धरती) के बीच 86,000 योजन का अंतराल होता है. व्यक्ति की आत्मा प्रतिदिन 247 योजन तय करती है. इस दौरान आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर सुख या दुख का अनुभव होता है.

मृत्यु के बाद मुक्ति के दो प्रकार

शास्त्रों में दो प्रकार की मुक्ति का उल्लेख मिलता है, सामान्य मुक्ति और शद्य मुक्ति. जो योगी या धर्मनिष्ठ होते हैं, उन्हें शद्य मुक्ति प्राप्त होती है. उनका शरीर छोड़ने के बाद वे सीधे उर्ध लोकों में जाते हैं और उन्हें यमदूतों से सामना नहीं करना पड़ता. वहीं, सामान्य कर्मों में बंधे लोग कर्मों से मुक्त होने के बाद भी यमलोक की यात्रा करते हैं. 
 

First Updated : Friday, 20 September 2024