Pradosh Vrat 2024: धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जो त्रयोदशी की रात शिव प्रतिमा के दर्शन करते हैं. उनके जीवन की सारी समस्याएं नष्ट हो जाती है. साथ ही भगवान शिव की कृपा सदैव ही बनी रहती है, बता दें कि प्रदोष व्रत अलग-अलग दिन आया करता है. जैसे सोम, मंगल, बूध, गुरु, शुक्र, शनि, रवि और हर दिन का एक विशेष महत्व है. मगर मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है.
इस व्रत पर भगवान भोलेनाथ के साथ हनुमान जी की आराधना करने का विशेष प्रावधान है. हिंदू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आने वाले 4 जून को है.
प्रदोष व्रत आराधना विधि
प्रदोष व्रत के दिन सबसे पहले व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन उपवास करना चाहिए. इसके बाद सफेद वस्त्र धारण करके ईशान कोण में बैठकर पूजा करनी चाहिए. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लिप कर आसन बनाना चाहिए. इस मंडप में पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनानी चाहिए.
कागज पर अलग-अलग रंगों से बनी कमल के फूल की आकृति भी पास में रखनी चाहिए. भगवान शिव की एक मूर्ति सामने रखनी चाहिए, इसके बाद पूजा की सारी सामग्री अपने पास रखकर आसन पर बैठकर शिव जी की पूजा करनी चाहिए. 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का जप करना चाहिए. First Updated : Sunday, 02 June 2024