Putrada Ekadashi Vrat katha: आज पौष मास की पुत्रदा एकादशी का दिन है इस दिन लोग भगवान विष्णु के निमित व्रत रखते हैं. यह एकादशी संतान का सुख प्रदान करने वाली है, यदि अगर आप इस एकादशी का व्रत रखते हैं और अपनी मनोकामना को पूर्ण करना चाहते हैं तो इस एकादशी के बारे में जानना काफी जरूरी है. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि सबसे पवित्र सबसे पवित्र तिथियों में से एक मानी जाती है.
एकादशी का दिन भगवान नारायण को सबसे प्रिय है. मान्यता है कि जो भक्त एकादशी वाले दिन व्रत और उसके नियमों का पालन करते हैं उन पर अनंत हरि कृपा बरसती है. आज पौष मास की शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकदाशी है. आज के दिन जो वैष्णव भक्त भगवान विष्णु के निमित व्रत रख रहे हैं. उनको मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए आज पुत्रदा एकादशी के दिन की व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए या उसका श्रवण करना चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि एक समय की बात है जब भद्रावती नगर में एक सुकेतु नाम का एक राजा राज्य करता था, उनकी पत्नी का नाम शैव्या था. वह राजा धर्म को बहुत मानने वाले और प्रजापालक थे, लेकिन इतना सब कुछ होने के बाबजूद भी उनकी कोई संतान नहीं थी, वह राजा धर्म को बहुत मानते थे.
राजा को चिंता सदैव सताती थी कि आगे उसके वंश का नाम कैसे चलेगा, इस कारण राजा सुकेतु यह सोच कर बहुत दु:खी रहते थे एक दिन उन्होंने अपने आश्रम में कुछ ऋषि-मुनियों को देखा, जो वहां भजन कीर्तन करते हुए आ पहुंचे थे, राजा धर्मनिष्ठ थे और उनकी संतों में आस्था थी, इस कारण वह उनके पास गए. दुखी देख उन्हें वरदान दिया गया. First Updated : Sunday, 21 January 2024