Rajasthan: राजस्थान के इस मंदिर में भगवान शिव से पहले क्यों होती है रावण की पूजा? जाने इसकी मान्यता
Udaipur News : कमलनाथ महादेव मंदिर परिसर में एक कुंड बना हुआ है। इस कुंड के अंदर से सालभर जल की धार निकलती है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां भगवान शिव से पहले रावण की पूजा होती है।
Udaipur News : राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव से पहले रावण की पूजा होती है। यह मंदिर झीलों की नगरी उदयपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर झाडौल तहसील में आवरगढ़ की पहाड़ियों स्थित है। भगवान शिवजी का यह प्राचीन मंदिर कमलनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध है।
कमलनाथ महादेव मंदिर की खासियत ये है कि यहां भगवान शिव से पहले रावण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि शिव से पहले यदि रावण की पूजा नहीं की जाए तो सारी पूजा व्यर्थ जाती हैं। मंदिर में एक ओर रावण की मूर्ति है जबकि दूसरी ओर शिवलिंग है। यहां आने वाले श्रद्धालु पहले रावण की पूजा करते है। इसके बाद ही भगवान शिव की पूजा करते हैं।
रावण ने चढ़ाया था शीश
बताया जाता है कि एक बार इस मंदिर में रावण भगवान शिव की पूजा कर रहा था। रावण शिव की पूजा के लिए एक बार में 108 कमल के फूल चढ़ाता था। एक दिन जब रावण इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा कर था तो एक पुष्प कम पड़ गया। इसके बाद रावण ने अपना शीश काटकर भगवान शंकर को समर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शिव रावण से प्रसन्न हुए और दस शीश का वरदान दे दिया। इसके बाद शिव ने इस स्थान को कमलनाथ महादेव का नाम दे दिया था।
कहा जाता है कि इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त आते है। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने भगवान शिव को चूरमे का भोग लगाते है। कमलनाथ महादेव मंदिर परिसर में एक कुंड भी बना हुआ है। यहां जमीन के अंदर से पानी की धार निकलती है, जो सालभर बहती रहती हैं।