Ramadan 2024: आसमानी किताब है क़ुरान तो ज़मीन पर कैसे आई?
Ramadan 2024: इसलाम के मानने वालों का ये मानना है कि क़ुरान एक आसमानी किताब है, इसको अल्लाह ने अपने बंदों के लिए जमीन पर भेजा है.
Ramadan 2024: क़ुरान को इस्लाम में सबसे बड़ी औप पाक किताब का दर्जा दिया गया है. इस्लाम धर्म में कितने ही फ़िरक़े, मसलके या मतभेद हों लेकिन क़ुरान को लेकर सबका यही मानना है कि ये अल्लान ने आसमान से अपने बंदों के लिए जमीन पर भेजी है. जानकारी के मुताबिक, जिब्राइल ने इस किताब को पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के पास तक पहुंचाया था.
इस्लाम में क्या है क़ुरान?
क़ुरान को लेकर इस्लाम के मानने वालों का कहना है कि ये किताब किसी एक समुदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अल्लाह ने भेजी है. क़ुरान का मतलब समझे तो इसका अरबी में मतलब निकलता है- अक्षर और शब्दों को एक सलाइन से जोड़ कर अपनी जबान से बोलना, जिसे आसान भाषा में पढ़ना भी कहते हैं. मुसलमानों का ये मानना है कि क़ुरान में जो लिखकर आया है वो वैसा ही रहेगा, ना तो इसमें कुछ नया जोड़ा जा सकता है और ना ही कुछ हटाया जा सकता है.
किताब कब बनी क़ुरान
632 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद की वफात के बाद, खलीफा हजरत अबू बक्र ने 934 ईस्वी के बाद कुरान को एक किताब के रूप में एकत्र करने का निर्णय लिया ताकि इसे एक किताब के रूप में रखा जा सके. जानकारी के मुताबिक, ज़ैद बिन साबित (655 ई.) पहले थे जिन्होंने कुरान को इकट्ठा किया, क्योंकि वह पैगंबर मुहम्मद जो सूरतें या आयतें पढ़ते थे उनको वो लिखते थे. इस तरह ज़ैद बिन साबित ने आयतों को इकट्ठा किया और क़ुरान को एक किताब की शक्ल दे दी. इसकी मूल प्रति अबू बकर को मिली. दूसरी तरफ, शिया मुस्लिम समुदाय की मानी जाए तो, अली इब्न अबू तालिब ने मुहम्मद की वफात के बाद कुरान का एक पूरा संस्करण संकलित किया.
रमजान में आसमान से नाज़िल हुई
कुरान के सूरह अल-बकराह की आयत 185 में अल्लाह ने कहा है कि रमजान वह महीना है जिसमें क़ुरान आसमान से उतारा गया था. यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है कि वह रमज़ान के महीने की कौन सी रात थी. हालांकि, उलेमाओं का मानना है कि रमजान के आखिरी असरे यानी आखिरी दस दिनों में 21, 23, 25, 27 जैसी रातों में से एक रात है, जिसमें कुरान नाजिल हुआ था. इसीलिए रमज़ान को तालीम का महीना भी कहा जाता है.