Ramadan 2024: भूखों की तकलीफ़ का एहसास कराता है रमज़ान, पाक महीने की क्या हैं फज़ीलत?
Ramadan 2024: रमज़ान के पूरे महीने के दौरान, दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और अल्लाह से प्रार्थना करते हैं. आइये जानते हैं इसकी शुरुआत कैसे हुई.
Ramadan 2024: इस्लाम धर्म के पांच स्तंभ हैं जिसमें कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज है. रमज़ान का पाक महीना शुरू होने वाला है. मक्का में मुस्लिमों के पवित्र महीने रमज़ान के रोजे का पहला दिन सोमवार, 11 मार्च या मंगलवार, 12 मार्च को होगा, जो चांद के दिखने पर निर्भर करेगा. रमज़ान इस्लामी कैलेंडर द्वारा निर्धारित किया जाता है, जो चांद देखने के साथ शुरू होता है. सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम-बहुल देश महीने की शुरुआत निर्धारित करने के लिए चांद देखने वालों की गवाही पर भरोसा करते हैं.
मुसलमानों के लिए रमजान का महीना सबसे पाक महीना होता है. कुछ ही दिनों में 2024 के रोज़े शुरू होने जा रहे हैं. रमज़ान के पूरे महीने के दौरान, दुनिया भर के मुसलमान रोज़ा रखते हैं, और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं. आइए विस्तार से जानते हैं कि रमज़ान क्या है?
रमजान बरकतों का महीना
रमज़ान का महीना मुसलमानों के लिए इसलिए भी खास होता है क्योंकि इसी महीने में इस्लाम की पवित्र किताब कुरआन शरीफ नाजिल (अल्लाह की ओर से भेजा जाना) हुआ. वो कुरआन जो आगे चलकर इस्लाम धर्म का मार्गदर्शक बना. बाद में इसी किताब ने मुसलमानों को जिंदगी जीने का तरीका बताया, रमजान के महीने में रोजा रखना उन्हीं तरीकों में से एक है. इस महीने में मुसलमान सारे अच्छे काम करने की कोशिश करते हैं.
गरीबों की तकलीफ का एहसास होना
आमतौर पर लोग जानते हैं कि रमज़ान के दौरान पूरा दिन भूखा रहना होता है, लेकिन रमजान इससे कहीं ऊपर है. इस्लाम के मानने वाले कहते हैं कि जब आप रोजे से होते हो तो आपको भूख का एहसास होता है, आप ये जान पाते हो कि जिन लोगों को खाना नहीं मिल पाता है, या जो गरीब होते हैं दो वक्त की रोटी के लिए तरसते हैं उनकी तकलीफ क्या होती है. इसी लिए रमजान के महीने में आस पास रहने वाले लोगों का ध्यान रखने की भी सलाह दी गई है, ताकि कोई भूखा ना रहे.
'इस्लाम में माना जाता है कि अगर आप खाना खा रहे हैं, वहीं, आपका पड़ोसी किसी मजबूरी के तहत भूखा सो रहा है तो आपका पहला फर्ज है कि आप पहले उसको खाना खिलाओ'
आस-पास के लोगों का रखते हैं ध्यान
रमज़ाम में हर कोई अपनी हैसियत के मुताबिक लजीज चीज़े खाता है तो दूसरी तरफ किसी के पास पूरा दिन रोजा रखने का बाद भी खाने के लिए बहुत सीमित चीज़े होती हैं. इसके लिए मुसलमानों में रमजान के दौरान इफ्तार या सहरी के वक्त अपने पड़ोसियों का खास ख्याल रखा जाता है. पैगम्बर मोहम्मद साहब ने फरमाया था कि इस दौरान ये देखों की आपके पड़ोसी के पास खाने के लिए है कि नहीं, इसका ध्यान रखें कि पूरा महीना रोजे रखने के बाद उसकी ईद अच्छी हो.
इसीलिए रमजान के महीने को बरकत का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान मुसलमानों के घरों में बरकत होती है. इसके साथ ही पड़ोसियों का या जो गरीब लोग हैं उनको भी आम दिनों से कहीं ज्यादा अच्छा खाना खाने को मिलता है. साथ ही जो संपन्न परिवार होते हैं वो अपनी आय से कुछ प्रतिशत निकाल कर गरीबों को देते हैं.