Dussehra Special: राक्षस होने के बाद भी होती है रावण की पूजा, इन 5 कारणों से मिलता है सम्मान

Dussehra Special: ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति में अच्छे और बुरे दोनों ही गुण होते है. वहीं रावण में भी केवल बुराइयां नहीं थी. उसमें भी ऐसे कई गुण थे जो उसे सम्मान योग्य बनाते है.

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Dussehra Special: देश में हर साल दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत बताई जाती है. भारत में रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कई जगहों पर रावण को पूजा जाता है. उसकी मृत्यु पर लोग शोक मानते हैं. ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति में अच्छे और बुरे  दोनों ही गुण होते है. वहीं रावण में भी केवल बुराइयां नहीं थी. उसमें भी ऐसे कई गुण थे जो उसे सम्मान योग्य बनाते है. आइए जानते इस खबर के माध्यम से की दशानन रावण के वो कौन से गुण है जो उसे सम्मान योग्य बनाते है?

रावण को सम्मान मिलने के ये कारण:

1. शिव भक्त था रावण 

दशानन रावण बहुत बड़ा शिव भक्त था. ऐसा माना जाता है कि रावण ने भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत को आपने साथ लंका लेना जाने के लिए उठा लिया था लेकिन भगवान शिव ने अपने पैर की छोटी उंगली से दबा कर विशाल पर्वत को नीचे कर दिया था. इस कारण रावण की उंगलिया दबने से वह दर्द से चिल्ला पड़ा था. लेकिन रावण शिव भगवान की शक्ति से इतना प्रभावित हुआ कि उसने शिव तांडव किया. जिससे महादेव ने खुश होकर उसे आशीर्वाद दिया था.

2. ब्रह्मदेव के वंशज हैं रावण 

रावण को सम्मान योग्य और पूजनीय बनाने का दूसरा कारण यह है कि रावण के पिता ऋषि विश्रव ब्रह्मदेव के पुत्र प्रजापति पुल्सत्य के पुत्र माने जाते हैं. इस नाते रावण ब्रह्मदेव के परपोते हुए. 

 3. रावण को वेदों का था ज्ञान

रावण को सम्मान और पूजनीय बनाने का तीसरा कारण यह है कि रावण के पिता एक ऋषि थे और माता एक राक्षसी.  ऐसा कहा जाता है कि रावण दुनिया के सबसे ज्ञानी पुरुषों में से एक था. उसे सभी वेदों के साथ-साथ विज्ञान, गणित, राजनीति जैसे अन्य कई शास्त्रों का ज्ञान था. इस कारण से उसे राक्षस कुल का होने के बाद भी विद्वान माना जाता है. 

4. कुशल राजा और राजनीतिज्ञ का ज्ञाता था रावण 

ऐसा माना जाता है जब रावण मृत्यु के निकट था, तब प्रभु श्री राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण से कहा था कि जाओ रावण को प्रणाम कर उनसे राजनीति का ज्ञान प्राप्त करके आओ. ऐसा कहा जाता है कि रावण राजनीति का बहुत बड़ा ज्ञाता होने के साथ एक कुशल राजा था उनकी प्रजा को किसी चीज की कमी नहीं थी और उनका राज्य इतना समृद्ध था कि लंका के सबसे गरीब व्यक्ति के पास भी सोने के बरतन हुआ करते थे. 

5. महान संगीतकार था रावण 

लंकापति रावण को संगीत का बहुत शौक था और वे खुद भी एक कुशल संगीतकार था. साथ ही यह भी माना जाता है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव का भी निर्माण किया था. First Updated : Sunday, 22 October 2023