बाबर ने तोड़ी थी मस्जिद, अब संभल में क्यों हो रहा हिंदू-मुसलमान?

Sambhal Controversy: संभल में जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर को लेकर विवाद के बाद यह सवाल उठा है कि भगवान हरिहर कौन हैं? भारतीय पौराणिक कथाओं में भगवान हरिहर का स्वरूप बेहद खास है, क्योंकि इसमें भगवान शिव और विष्णु का अनोखा एकीकरण देखने को मिलता है।  

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Sambhal Controversy: संभल की जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान विवाद और हिंसा की खबरें सुर्खियों में हैं. यह विवाद तब शुरू हुआ जब संभल की जिला अदालत में याचिका दाखिल की गई. याचिका में दावा किया गया कि जामा मस्जिद का निर्माण प्राचीन काल के श्री हरिहर मंदिर की जगह पर हुआ है. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि इस स्थान पर मुगल शासक बाबर ने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया.

इसी को लेकर संभल में बीते दिन भारी बवाल देखने को मिला. मस्जिद के सर्वे को लेकर कुछ लोगों ने अपनी नारजगी दिखाई जिसके बाद भारी विवाद देखने को मिला.इस बीच सवाल ये उठ रहा है कि आखिर हरिहर भगवान हैं कौन और इस रूप का पौराणिक कथाओं में क्या महत्व है तो चलिए जानते हैं.

कौन हैं भगवान हरिहर?

दरअसल, भगवान हरिहर हिन्दू धर्म में शिव और विष्णु का एकीकृत रूप हैं. हरिहर दो शब्दों से मिलकर बना है—हरि, जिसका मतलब है भगवान विष्णु, और हर, यानी भगवान शिव. इस अद्वितीय स्वरूप में भगवान विष्णु और भगवान शिव का आधा-आधा शरीर होता है.

हरिहर का अवतार क्यों हुआ?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान हरिहर का अवतार शिव और विष्णु के भक्तों के बीच विवाद को समाप्त करने के लिए हुआ था. शैव (शिव के भक्त) और वैष्णव (विष्णु के भक्त) इस बात पर बहस करते थे कि कौन श्रेष्ठ है. भगवान शिव ने हरिहर का रूप धारण कर यह संदेश दिया कि वे दोनों एक समान पूजनीय हैं.

हरिहर स्वरूप की उत्पत्ति  

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने भगवान शिव की आराधना की. शिवजी प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा. ब्रह्मा ने शिवजी से अपने पुत्र बनने का वरदान मांगा, जबकि विष्णु ने शिवजी से भक्ति मांगी. शिवजी ने दोनों की इच्छाओं को पूरा करने के लिए हरिहर रूप धारण किया. इस रूप में शिव और विष्णु एक साथ एक शरीर में विराजमान हुए.  

हरिहर भगवान का स्वरूप  

भगवान हरिहर के दाहिने भाग में शिव के निशान और बाएं भाग में विष्णु के चिह्न होते हैं. दाहिने हाथ में शूल और बाएं हाथ में चक्र और गदा होती है. उनके दाहिनी ओर देवी गौरी और बाईं ओर देवी लक्ष्मी विराजमान रहती हैं.  

शैव-वैष्णव विवाद का समाधान  

एक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान शिव के भक्त शैव और भगवान विष्णु के भक्त वैष्णवों के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव ने हरिहर रूप धारण किया और यह संदेश दिया कि शिव और विष्णु दोनों ही पूजनीय और एक समान हैं. ऐसा कहा जाता है कि समाज में शैव और वैष्णव विवाद को खत्म करने के लिए हरिहर क्षेत्र की स्थापना की गई. बिहार के सोनपुर में हरिहर मंदिर स्थित है, जो शैव और वैष्णव संप्रदाय के मिलन का प्रतीक है.

हरिहर स्वरूप क्या देती है संदेश  

भगवान हरिहर का स्वरूप शिव और विष्णु के एकीकरण का प्रतीक है. यह सिखाता है कि सृष्टि के लिए संहार और संरक्षण दोनों आवश्यक हैं. यह स्वरूप हमें विवाद और अलगाव को छोड़कर एकता और सामंजस्य का संदेश देता है. हरिहर भगवान की कथा और उनका स्वरूप भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का एक अद्भुत उदाहरण है. यह बताता है कि भक्ति और विश्वास में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए.  

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25 November 2024, 01:21 PM IST

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