12 मई को बन रहे सर्वार्थसिद्धि और रवियोग, इस दिन काल भैरव की पूजा करने से मिलेगा लाभ
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को दो योग यानी सर्वार्थसिद्धि और रवियोग बन रहे हैं। इस दिन भगवान शिव के रूद्र रूप की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
12 मई शुक्रवार को ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि है इस भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा करने का विधान है। इसे रूद्र व्रत कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले साधक को भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा करना चाहिए। शिव पुराण के मुताबिक इस दिन व्रत और पूजा करने से हर तरह की परेशानियां और दोष दूर हो जाता हैं। और दुश्मनों पर भी जीत मिलती है। रूद्र व्रत पर शिवजी की पूजा के साथ खरीदारी और नई शुरुआत के लिए भी शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थसिद्धि और रवियोग बन रहे हैं। इस शुभ योग में किए गए कामों में सफलता मिलने की संभावना ज्यादा होती है।
रूद्र व्रत और पूजा विधि-
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो घर में ही पानी में गंगाजल और काले तिल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान आदि करने के बाद रुद्राक्ष की माला पहने और अपने माथे पर भस्म लगाएं या चंद का तिलक करें। और पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करें और तिल के तेल का दीपक जलाएं।
इस तिथि पर रुद्राभिषेक करने से मनोकामना की पूर्ति होती है साथ ही व्यक्ति की उम्र भी बढ़ती है। रुद्राभिषेक करने के लिए दूध, पंचामृत,जल,शहद, शक्कर और फलों के रस का उपयोग करना चाहिए। कहा जाता है कि मौसमी फल के रस से रुद्राभिषेक करने पर बीमारियां से छुटकारा मिलता है।
ज्येष्ठ माह में चार दिन होता है ये व्रत
यह व्रत ज्येष्ठ माह के दोनों पक्षों की अष्टमी और चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन गौ दान करने से पुण्य मिलता है। अगर ऐसा संभव न हो तो गाय की पूजा करें और उन्हें घास,चारा खिलाएं। इस व्रत को एक साल तक लगातार करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस व्रत के आखिरी में सोने का बैल या गाय के वजन जितना तिल का दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं। और सभी चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
शिवपुराण के अनुसार इस दिन पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को काल भैरव की विशेष पूजा करने से व्यक्ति की सभी परेशानियां से छुटकारा मिलता है।