Satudi Teej 2023: रक्षाबंधन के 3 दिन बाद मनाया जाता है सातुड़ी तीज, जानें तिथि, पूजा विधि और व्रत कथा
Satudi Teej 2023: सातुड़ी तीज सुहागिनों के लिए खास मानी जाती है. इसे सातुड़ी तीज, कजरी तीज, कजली तीज, बूढ़ी तीज या बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है.
हाइलाइट
- 2 सितंबर को मनाया जाएगा त्योहार
- इस दिन पर सुहागन और कुंवारी औरतें व्रत करती हैं
Satudi Teej 2023: पूरे देश में लोग रक्षाबंधन को लेकर उत्साहित हैं. सारी बहनें इस दिन का इंतज़ार कर रही हैं. रक्षाबंधन के बाद सातुड़ी तीज मनाई जाएगी. इसमें महिलाएं अपनी पतियों के लिए लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस तीज को और भी कई नामों से जाना जाता है, जैसे- इसे सातुड़ी तीज, कजरी तीज, कजली तीज, बूढ़ी तीज या बड़ी तीज के नाम से भी लोग जानते हैं.
2 सितंबर को मनाया जाएगा त्योहार
ये त्योहार कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल सातुड़ी तीज 2 सितंबर यानी रक्षाबंधन के तीन दिन के बाद मनाया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, ''भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 01 सितंबर 2023 को रात 11:50 मिनट पर हो रही है ये अगले दिन 02 सितंबर 2023 को रात 08:49 मिनट पर खत्म होगी.'' ये त्योहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान समेत कई राज्यों में मनाया जाता है.
सातुड़ी तीज में क्या किया जाता है?
सातुड़ी तीज के बारे में माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव को मां पार्वती मिली थीं. जिसके लिए मां पार्वती ने बहुत ही कठिन तपस्या की थी. हिंदू कैलेंडर के छठे महीने भादो के कृष्ण पक्ष की तीज को सातुड़ी तीज के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन पर सुहागन और कुंवारी औरतें व्रत करती हैं, शिव मंदिर जाकर शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है.
कैसे करें पूजा?
मान्यताओं के मुताबिक, सबसे पहले नीमड़ी माता को जल और रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाए जाते हैं, इसके बाद नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाने के बाद, मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगाई जाती है.
नीमड़ी माता को मौली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं. दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे ही लच्छा लगा दीजिए. नीमड़ी माता को कोई भी फल चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें. पूजा वाली जगह पर बने तालाब के किनारे रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें.