Savaan Special: मात्र पत्थरों के छूने से ही आती है डमरू की आवाज़, जानिए जलोटी शिव मंदिर के पीछे का रहस्य

Savaan Special: इस दिलचस्प और रहस्य्मय कहानी की सच्चाई जानने और इसका अनुभव करने के लिए हर दिन लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुँचते हैं. खासकर सावन के इस पवित्र महीने में.....

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Savaan Special: सावन का शुभ महीना शुरू हो गया है, ऐसे में सभी शिव भक्तों के लिए यह महीना बेहद ही खास होता है.   इस पूरे महीन एमए हर तरफ शिव ही शिव के गुणगान होते हैं.  ऐसा कहा जाता है कि सावन के इस पवित्र महीने में शिवजी की अपने भक्तों पर असीम कृपा होती है. सावन के महीने में सोमवार के दिन में मंदिरों में भक्तों की सुबह से ही लाइन लग जाती है. 

लेकिन भारत के कुछ ऐसे में प्रसिद्ध शिव मंदिर भी हैं, जहां केवल सोमवार को ही नहीं बल्कि साल के हर दिन भक्तों की लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ी रहती है. कहा जाता है कि यह प्राचीन मंदिरों की कोई न कोई खास विशेषता होती है, जो इन्हें अन्य से अलग और रहस्य्मयी बनता है. 

इस जगह पर है यह चमत्कारी मंदिर 

आज हम आपको जिस रहस्य्मयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, वह कहीं और नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में मौजूद है. जो अपनी खूबसूरती और हसीन वादियों के कारण दुनियाभर में मशहूर है. हमाचल प्रदेश के सोलन जिले में स्थित यह रहस्य्मयी मंदिर का नाम ' जलोटी शिव मंदिर' है. यह खूबसूरत मंदिर 'दक्षिण-द्रविड़ शैली' से निर्मित है. जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. इस मंदिर की कला को बेजोड़ नूमना माना गया है. 

 क्यों है यह मंदिर ख़ास?

यह शिव मंदिर इसलिए भी खास है की यह जलोटी शिव मंदिर एशिया का सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक है. यह मंदिर एक ऊंचे से पहाड़ पर मौजूद है जिसकी ऊंचाई लगभग 111 फुट है. स्थानीय लोगों का यह मन्ना है कि इस चमत्कारी मंदिर के  निर्माण में 5 से 10 नहीं बल्कि पूरे 39 साल का समय लग गया था. 

क्या है मंदिर की पौराणिक कथा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस जलोटी मंदिर में भगवान शिव यहां पर आये थे. जिन्होंने यहां कुछ समय के लिए विश्राम किया था. जिनके बाद 'स्वामी कृष्णानंद परमहंस' नामक बाबा यहां आये जिनके दिशा - निर्देश के अनुसारइस मंदिर का निर्माण किया गया था.  

क्यों है यह मंदिर चमत्कारी?

यहां आए लोगों का ऐसा कहना है कि इस 'जलोटि शिव मंदिर' में मौजूद पत्थरों को थपथपाने से 'डमरू' की आवाज़ निकलती है. वहीं कुछ लोगों ने यह भी अनुभव किया है की वहां पत्थरों के छूने मात्र से ही 'भगवान शिव के डमरू' की आवाज़ सुनाई देती है. इस दिलचस्प और रहस्य्मय कहानी की सच्चाई जानने और इसका अनुभव करने के लिए हर दिन लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने पहुँचते हैं. खासकर सावन के इस पवित्र महीने में जो भी इस मंदिर में दर्शन करने के लिए जाता है वह व्यक्ति खुद को खुशनसीब मानता है. 


  First Updated : Sunday, 09 July 2023

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