अल्लाह की माफी और इबादत की एक रात... शब-ए-बारात पर आखिर क्या करते हैं मुसलमान?
शब-ए-बारात, जिसे मगफिरत की रात भी कहते हैं, इस्लाम धर्म में बहुत खास मानी जाती है. इस रात मुसलमान पूरी रात इबादत करते हैं, अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं. इस साल यह रात 13 फरवरी को मनाई जाएगी. जानिए इस रात के दौरान मुसलमान क्या करते हैं, कब्रों पर जाते हैं, रोजा रखते हैं और अपनी गलतियों से तौबा करते हैं. क्या है इस रात की खासियत? मुफ्त में मिल रही अल्लाह की माफी और इबादत की रात के बारे में और जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर!

Shab-E-Barat 2025: शब-ए-बारात, जो मुस्लिम समुदाय के लिए एक बेहद खास और महत्वपूर्व रात होती है, 2025 में 13 फरवरी को मनाई जाएगी. इस रात को ‘मगफिरत की रात’ भी कहा जाता है, क्योंकि इस रात मुस्लिम अल्लाह से अपनी सभी गलतियों की माफी मांगते हैं. आइए जानते हैं इस दिन को लेकर खास क्या होता है और इस रात को मुसलमान कैसे इबादत करते हैं.
मगफिरत की रात: क्यों है शब-ए-बारात इतनी खास?
शब-ए-बारात शाबान महीने की 14वीं और 15वीं रात को मनाई जाती है. यह इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना होता है, और इस रात की अहमियत बहुत ज्यादा मानी जाती है. इसे माफी की रात, यानी ‘मगफिरत की रात’ कहा जाता है, क्योंकि इस रात मुसलमान अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से माफी मांगते हैं. इस रात की गई इबादत से अल्लाह अपनी सच्ची श्रद्धा रखने वालों के सभी गुनाहों को माफ कर देते हैं.
शब-ए-बारात पर क्या करते हैं मुसलमान?
शब-ए-बारात के दिन मुसलमान मग़रिब की नमाज़ के बाद अपने पूर्वजों की कब्रों पर जाते हैं. वे वहाँ साफ-सफाई करते हैं, फूल चढ़ाते हैं और अगरबत्ती जलाते हैं. इसके साथ ही वे यह दुआ करते हैं कि उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिले.
इस रात का मुख्य काम इबादत करना होता है, जिसमें मुसलमान कुरान पढ़ते हैं और नमाज़ अदा करते हैं. वे अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं. इस दिन कुछ लोग रोजा भी रखते हैं. यह नफिल रोजा होता है, यानी यह अनिवार्य नहीं होता, लेकिन फिर भी इसे रखा जाता है. शब-ए-बारात पर मुसलमान अल्लाह से एक और खास चीज़ की प्रार्थना करते हैं, वह है अपने भविष्य के लिए बेहतर रास्ते की तलाश करना और गुनाहों से तौबा करना.
सभी गलती मानने का वक्त
शब-ए-बारात केवल इबादत और माफी की रात ही नहीं, बल्कि यह दिन है जब लोग अपनी गलतियों से सीखने का वादा करते हैं. इस दिन को गुनाहों से तौबा करने और अगले दिन से एक नई शुरुआत करने का मौका माना जाता है. इसके साथ ही इस दिन मुसलमान खैरात भी निकालते हैं और समाज में जरूरतमंदों की मदद करते हैं.
इस रात के दौरान, घरों में मिठाई बनती है और लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी का माहौल बनाते हैं.
कुल मिलाकर, शब-ए-बारात एक ऐसा दिन है जब मुसलमान अल्लाह से अपनी सारी गलतियों की माफी मांगते हैं और एक नया जीवन शुरू करने की ठानते हैं.