Shardiya Navratri 2024 Day 3: शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन है. आज के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बना हुआ है. पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को नवरात्रि का तीसरा दिन होता है. इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करने का विधान है. ये तीसरी नवदुर्गा भी कहलाती हैं. मां पार्वती का यह रौद्र रुप है, जिन्होंने असुरों के संहार के लिए धारण किया था.
मां चंद्रघंटा अपनी 10 भुजाओं में कमल, माला, कमंडल, चक्र, गदा, धनुष, तलवार, त्रिशूल आदि धारण करती हैं. उनका वाहन सिंह हैं और उनके माथे पर घंटे के समान चंद्रमा है. इस वजह देवी का नाम चंद्रघंटा है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग, महत्व के बारे में.
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि का प्रारंभ: 5 अक्टूबर, आज, 05:30 ए एम से
अश्विन शुक्ल तृतीया तिथि का समापन: 6 अक्टूबर, कल, 07:49 ए एम पर
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, उदयातिथि के आधार पर अश्विन शुक्ल तृतीया आज है.
ब्रह्म मुहूर्त: 04:39 ए एम से 05:27 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त: 11:46 ए एम से 12:33 पी एम तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 06:16 ए एम से 09:33 पी एम तक
रवि योग: 09:33 पी एम से 6 अक्टूबर को 06:17 ए एम तक
अमृत काल: 11:41 ए एम से 01:29 पी एम तक
विजय मुहूर्त: 02:07 पी एम से 02:54 पी एम तक
नवरात्रि के तीसरे दिन ब्रह्मा मुहूर्त में स्नान करके साफ कपड़े पहने इसके बाद व्रत और मां चंद्राघंटा की पूजा का संकल्प करें. उसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग में मां चंद्रघंटा की पूजा करें. इस योग में की गई पूजा से आपकी मनोकामना की पूर्ति हो सकती हैं. सबसे पहले मां चंद्रघंटा को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर उनको अक्षत्, सिंदूर, पीले रंग के फूल, सफेद कमल पुष्प, धूप, दीप, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. इस बीच आपको मां चंद्रघंटा के मंत्र का उच्चारण करना है. फिर देवी चंद्रघंटा को उनका प्रिय भोग खीर, दूध से बनी मिठाई, सेब, केला आदि का भोग लगाएं. उसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करें. अंत में मां दुर्गा और मां चंद्रघंटा की आरती करें. First Updated : Saturday, 05 October 2024