Sheetla Ashtami 2025: 22 या 23 मार्च कब है शीतला अष्टमी? जानें सही तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Sheetla Ashtami 2025: शीतला अष्टमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि संपूर्ण परिवार के स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने और माता शीतला की आराधना करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. हालांकि, इस साल इस व्रत की तारीख को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है. तो चलिए सही तारीख और पूजा विधि जानते हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

शीतला अष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस दिन भक्त मां शीतला की पूजा करके घर में सुख-समृद्धि और आरोग्यता की कामना करते हैं. महिलाएं अपने परिवार और संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं. लेकिन इस वर्ष शीतला अष्टमी की तिथि को लेकर असमंजस बना हुआ है. आइए जानते हैं कि साल 2025 में यह पावन पर्व कब मनाया जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा.  

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे 'बसौड़ा' के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन विशेष रूप से बासी भोजन का भोग लगाकर माता शीतला की आराधना की जाती है. आइए विस्तार से जानते हैं शीतला अष्टमी 2025 की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.  

कब है शीतला अष्टमी पर्व?  

हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला अष्टमी का पर्व होली के बाद आने वाली अष्टमी तिथि को मनाया जाता है.  

1. अष्टमी तिथि प्रारंभ - 22 मार्च 2025 को सुबह 4:23 मिनट से  

2. अष्टमी तिथि समापन - 23 मार्च 2025 को सुबह 5:23 मिनट तक  

3. इस तरह, शीतला अष्टमी का पर्व 22 मार्च 2025, शनिवार को मनाया जाएगा.  

शीतला अष्टमी का महत्व  

- शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला की पूजा करने से रोग-व्याधि से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.  

- इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं.  

- इस पर्व को ‘बसौड़ा’ भी कहा जाता है, जिसमें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है, क्योंकि शीतला माता को ताजे की बजाय ठंडा भोजन अधिक प्रिय है.  

- मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से बीमारियों से रक्षा होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

शीतला अष्टमी पूजा विधि  

शीतला अष्टमी के दिन विशेष पूजा विधि का पालन करना अत्यंत शुभ माना जाता है.

1. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें.  

2. माता शीतला की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें.  

3. जल, अक्षत, हल्दी, रोली, फूल और चंदन अर्पित करें.  

4. मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाएं, जिसमें मीठे पूए, दही, बाजरे की रोटी और बेसन की पकौड़ी शामिल हो.  

5. शीतला माता की कथा पढ़ें और ध्यानपूर्वक सुनें.  

6. घी का दीपक जलाएं और माता शीतला की आरती करें.  

7. दान-पुण्य करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.  

पूजा का शुभ मुहूर्त  

शीतला अष्टमी पर चार विशेष शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जो इस प्रकार हैं:

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4:48 से 5:35 मिनट तक  

गोधूलि मुहूर्त-  शाम 6:32 से 6:56 मिनट तक  

निशिता मुहूर्त - रात 12:07 से 12:56 मिनट तक  

अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:04 से 12:52 मिनट तक  

इन शुभ मुहूर्तों में माता शीतला की विधिवत पूजा करने से सुख-शांति, समृद्धि और रोगमुक्ति का आशीर्वाद मिलता है.  

शीतला अष्टमी के दिन जरूर करें ये काम  

मां शीतला की पूजा पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक करें.  

व्रत रखते समय सात्विक आहार लें और संयम का पालन करें.  

बासी भोजन का भोग लगाकर माता को प्रसन्न करें.

जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें.

शीतला अष्टमी के दिन न करें ये काम

ताजा पका हुआ भोजन माता शीतला को अर्पित न करें.  

इस दिन घर में चूल्हा जलाने से बचें.  

किसी को अपशब्द न कहें और क्रोध करने से बचें.  

झूठ बोलने और छल-कपट से दूर रहें. 

calender
21 March 2025, 10:14 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो