29 मार्च 2025 का सूर्यग्रहण: भारत में दिखाई देगा या नहीं? जानें हर जानकारी

29 मार्च 2025 को होने वाला सूर्य ग्रहण आंशिक होगा और भारत में ये ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. सूर्य ग्रहण के दौरान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन की संभावना रहती है, जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसे अशुभ माना जाता है.

सूर्य ग्रहण का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोण से काफी महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ग्रहण के दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसे अशुभ समय माना जाता है. इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को होगा, जो आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में देखा जाएगा. हालांकि, भारत में ये ग्रहण दिखाई नहीं देगा, लेकिन इसका असर दुनिया के कई हिस्सों में देखा जाएगा. ऐसे में 29 मार्च 2025 को लगने वाले आंशिक सूर्य ग्रहण के बारे में और इसकी टाइमिंग के बारे में जानते हैं.

ग्रहण का समय और भारत में इसका दृश्य प्रभाव

भारत में आंशिक सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को दोपहर करीब 2:20 बजे शुरू होगा. इसका चरम समय 4:17 बजे होगा और ग्रहण 6:13 बजे समाप्त हो जाएगा. हालांकि, ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. सूर्य ग्रहण की ये घटना पूरी दुनिया में कुछ स्थानों पर देखी जाएगी, लेकिन भारत में इसका कोई प्रभाव नहीं रहेगा.

कहां दिखाई देगा आंशिक सूर्य ग्रहण?

ये आंशिक सूर्य ग्रहण एशिया, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अटलांटिक तथा आर्कटिक महासागरों के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. नासा के अनुसार, सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य की कुछ या पूरी रोशनी अवरुद्ध हो जाती है और एक छाया बन जाती है. आंशिक ग्रहण में सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी पूरी तरह से संरेखित नहीं होते, जिससे सूर्य का केवल एक हिस्सा ही ढका हुआ दिखाई देता है.

भारत में सूतक काल का असर नहीं होगा

अगर ये सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देता, तो इसका सूतक काल 12 घंटे पहले से शुरू हो जाता. लेकिन चूंकि ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस प्रकार, भारत में इस ग्रहण का कोई धार्मिक प्रभाव नहीं होगा. सूर्य ग्रहण को ज्योतिष में खास महत्व दिया जाता है, लेकिन इसके साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये एक रोचक घटना है. ग्रहण के समय के बारे में बहुत से मान्यताएं और परंपराएं भी जुड़ी होती हैं. हालांकि, ये खगोलशास्त्र के लिहाज से एक प्राकृतिक घटना है और इसका अध्ययन करके हम ग्रहों और आकाशीय पिंडों के बारे में नई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

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24 March 2025, 06:10 PM IST

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