Surdas Jayanti 2023: जानिए कब है सूरदास जयंती, क्या हैं इनसे जुड़ी कुछ रोचक कहानियां?
Surdas Jayanti 2023: वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को श्रीकृष्ण के परम भक्त सूरदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है इस बार सूरदास की जयंती 25 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाई जा रही है।
हाइलाइट
- संत सूरदास जी को एक महान कवि और संगीतकार माना जाता है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को श्रीकृष्ण के परम भक्त सूरदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
Surdas Jayanti 2023: संत सूरदास जी को एक महान कवि और संगीतकार माना जाता है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को श्रीकृष्ण के परम भक्त सूरदास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके साथ ही सूरदास जी ने कई गीत, दोहे और कविताएं भी लिखी हैं।
हिंदू कैंलेडर के अनुसार 25 अप्रैल दिन मंगलवार को सूरदास जयंती का पर्व मनाया जायेगा। इस दिन कवि सूरदास जी की 545वां जन्म वर्षगाँठ है।कहा जाता है कि सूरदास जी को भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करना काफी पसंद था साथ ही वह बचपन से श्रीकृष्ण की भक्ति करते थे।
इतना ही नहीं भगवान की भक्ति में सूरदास जी इतने लीन हो गए कि उन्होंने अपना पूरा जीवन त्याग दिया।उन्हें श्रीकृष्ण की भक्ति के अलावा कुछ और नजर नहीं आता था। आइए जानते हैं सूरदास जी की कुछ रोचक जानकारियों के बारें में जिनके बारे में काफी कम लोग जानते हैं।
कम उम्र में क्यों छोड़ा उन्होंने अपना घर?
सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक गांव में हुआ।वहीं कई लोगों को यह भी मानना है कि सूरदास जी का जन्म स्थान हरियाणा के सीही गांव में हुआ था। सूरदास जी जन्म से ही देख नहीं पाते थे।
कहा जाता है कि उन्हें कई लोग ताना देते थे साथ ही उनके बारे में तरह-तरह की बातें किया करते थे। जन्म से आंधे होने के कारण सूरदास जी को कभी परिवार का स्नेह नहीं मिला।करीब 6 साल की उम्र में सूरदास जी ने अपना घर छोड़ दिया और वह आगरा के पास गऊघाट पर रहने लगे।
किस ने दी श्रीकृष्ण भक्ति की प्रेरणा?
जब सूरदास जी गऊघाट गए तो उनकी मुलाकात श्रीवल्लभाचारर्य से हुई और उसके बाद वही उनके शिश्य बन गए। श्रीवल्लभाचारर्य ने सूरदास जी को पुष्टिमार्ग की दिशा दिखाई। साथ ही श्रीकृष्ण लीला के बारे में सभी जानकारियां दी उन्हें गाने के लिए प्रेरित किया।
कहा जाता है सूरदास जी के पिता रामदास एक गायक थे।इसीलिए गायकी की कला इन्हें वरदान में मिली थी।इसके साथ ही सूरदास जी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो गए और उन्होंने अपना जीवन श्रीकृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दिया।