Makar Sankranti 2025: सनातन धर्म में मकर संक्रांति का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. इस दिन सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे खगोलीय परिवर्तन के साथ आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक माना गया है. बता दें कि जनवरी माह भारतीय संस्कृति में नए वर्ष की शुरुआत के साथ मकर संक्रांति पर्व का भी प्रतीक है. इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी. यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का संकेत देता है. धार्मिक मान्यता है कि इस खगोलीय परिवर्तन के दौरान सूर्य उत्तरायण होते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा और शुभ कार्यों की वृद्धि होती है.
भीष्म पितामह और मकर संक्रांति का आध्यात्मिक संबंध
आपको बता दें कि महाभारत में भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था. उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा की थी क्योंकि उत्तरायण को मोक्ष प्राप्ति के लिए शुभ काल माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि उत्तरायण में मृत्यु मोक्ष दिलाती है, जबकि दक्षिणायन में मृत्यु पुनर्जन्म के चक्र में बांध देती है.
उत्तरायण का महत्व
वहीं आपको बता दें कि उत्तरायण सूर्य के मकर रेखा को पार कर उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने की प्रक्रिया है. वैदिक मान्यता के अनुसार, उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायन देवताओं की रात मानी जाती है. इसे देवयान और पितृयान भी कहा जाता है. उत्तरायण के दौरान किए गए शुभ कार्य जैसे दान, तप, साधना और मंत्र जाप का विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
मकर संक्रांति पर अवश्य करें ये 6 कार्य
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां बताना जरूरी है कि हम किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं.) First Updated : Monday, 06 January 2025