मौत के बाद का संसार: गरुड़ पुराण से जानें आत्मा और नरक की सच्चाई

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के 24 घंटे के भीतर आत्मा एक बार फिर से धरती पर लौटती है। इसके बाद जब परिजन 13वीं की पूजा करते हैं, तब आत्मा को सूक्ष्म शरीर प्राप्त होता है और वह यमलोक की यात्रा पर निकलती है। यमलोक में 16 नगर होते हैं, जिन्हें आत्मा पैदल चलकर पार करती है। आइए, गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के रहस्यमयी संसार को समझते हैं।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

धार्मिक न्यूज. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु से ठीक पहले, व्यक्ति को यमराज दिखाई देने लगते हैं। जब व्यक्ति मृत्यु के करीब होता है, तो उसकी सोचने-समझने की क्षमता घटने लगती है, लेकिन उसे यमराज स्पष्ट दिखते हैं। जीवन और मृत्यु के बीच खड़ा जीव कुछ बोलने की कोशिश करता है, परंतु उसके गले से आवाज नहीं निकलती। उसे अपने जीवन की धुंधली यादें दिखाई देती हैं, और इसी दौरान यमराज उसकी आत्मा को खींचकर यमलोक ले जाते हैं।

कर्मों का लेखा-जोखा

यमलोक पहुंचने पर व्यक्ति के समस्त जीवन का लेखा-जोखा यमराज के सामने प्रस्तुत किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति के किए गए कर्म पहले से ही दर्ज होते हैं। इन कर्मों के आधार पर ही यह तय किया जाता है कि उसे स्वर्ग मिलेगा या नरक। निर्णय के बाद आत्मा की यात्रा का दूसरा चरण शुरू होता है, जिसमें उसे अपने कर्मों के अनुसार सजा या फल भोगना पड़ता है।

यमलोक की यात्रा और सूक्ष्म शरीर

मरने के बाद आत्मा को सूक्ष्म शरीर प्रदान किया जाता है, जिससे वह यमलोक की यात्रा कर सके। इस सूक्ष्म शरीर के साथ आत्मा को पृथ्वी से यमलोक तक 99 हजार योजन (लगभग 11 लाख 99 हजार और 988 किलोमीटर) की दूरी तय करनी होती है। इस मार्ग में यमलोक के 16 नगर होते हैं, जहां से आत्मा को गुजरना पड़ता है। सूक्ष्म शरीर के बावजूद आत्मा को जीवित मनुष्य की तरह ही कष्ट होता है।

तीसरे दिन के बाद सूक्ष्म शरीर का निर्माण

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के 24 घंटे बाद आत्मा पृथ्वी पर लौटती है और उसे यमलोक तक यात्रा करने के लिए सूक्ष्म शरीर मिलता है। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए 13 दिनों तक पूजा-पाठ और कर्मकांड किए जाते हैं। इन धार्मिक अनुष्ठानों के बाद, सूक्ष्म शरीर पूर्ण रूप से तैयार हो जाता है। यह शरीर अस्थायी होता है और व्यक्ति के भौतिक शरीर की तरह ही कार्य करता है। 13वें दिन यह आत्मा सूक्ष्म शरीर के साथ यमलोक की यात्रा शुरू करती है।

सूक्ष्म शरीर को ही दी जाती है सजा

गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि नरक में आत्मा को सूक्ष्म शरीर के माध्यम से दंडित किया जाता है। बुरे कर्म करने वाले मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार यातनाएं दी जाती हैं। यदि किसी ने किसी को धोखा दिया होता है, तो उसे लोहे की छड़ों से मारा जाता है, और जो अपनी सुंदरता या शरीर पर गर्व करते हैं, उन्हें नरक की अग्नि में जलाया जाता है। इस सूक्ष्म शरीर को भी जीवित शरीर की तरह पीड़ा होती है। जैसे ही उसकी सजा पूरी होती है, आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर पुनर्जन्म के लिए भेज दिया जाता है।

अच्छे कर्मों का फल: स्वर्ग की प्राप्ति

यदि व्यक्ति के कर्म अच्छे होते हैं, तो उसे स्वर्ग में भेजा जाता है, जहां उसे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, कर्म के अनुसार ही व्यक्ति को नरक या स्वर्ग मिलता है और वहां वह अपने कर्मों का परिणाम भोगता है।

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10 November 2024, 07:15 AM IST

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