महाकुंभ के इस अखाड़े की है अपनी अलग अदालत, 17 लोगों की टीम ऐसा होता है फैसला

Mahakumbh 2025: जूना अखाड़ा, भारत का एक प्रतिष्ठित शैव संप्रदाय, अपनी अनुशासन और न्यायिक परंपरा के लिए जाना जाता है. यहां एक 17 सदस्यीय विशेष न्यायपालिका व्यवस्था है, जो समाज और अखाड़े में अनुशासन बनाए रखने के लिए निष्पक्ष न्याय करती है. किसी भी विवाद की सुनवाई में दोनों पक्षों को सुना जाता है और सामूहिक सहमति से निर्णय लिया जाता है.

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Mahakumbh 2025: जूना अखाड़ा, भारत का एक प्रमुख शैव संप्रदाय है, जो अपने नियमों और अनुशासन के लिए प्रसिद्ध है. इस अखाड़े में एक विशेष न्यायपालिका व्यवस्था है, जो समाज, धर्म और अखाड़े के विरुद्ध किसी भी अनुशासनहीनता पर कार्रवाई करती है. अष्टकौशल महंत डॉक्टर योगानंद गिरी जी महाराज ने बताया कि जूना अखाड़ा अपनी स्थापना से ही न्याय देने की परंपरा का पालन करता आ रहा है.

कैसे कार्य करती है जूना अखाड़े की कोर्ट?

आपको बता दें कि जूना अखाड़े में एक 17 सदस्यीय न्यायपालिका टीम है, जो न्यायिक प्रक्रिया को संचालित करती है. यदि अखाड़े के किसी सदस्य पर किसी प्रकार का आरोप लगता है, तो वह व्यक्ति इस न्यायपालिका में अपील कर सकता है.

शिकायत प्राप्त होने के बाद:-

  • शिकायत की जांच की जाती है कि मामला सुनवाई योग्य है या नहीं.
  • सुनवाई योग्य पाए जाने पर दोनों पक्षों को सुनने के लिए एक बैठक बुलाई जाती है.
  • 17 सदस्यीय टीम दोनों पक्षों की दलीलें सुनकर सामूहिक सहमति से निर्णय लेती है.
  • यदि शिकायत सुनवाई योग्य न मानी जाए, तो शिकायतकर्ता को दंडित किया जा सकता है.

17 सदस्यीय टीम में कौन-कौन होता है?

जूना अखाड़े की न्यायपालिका में 17 प्रमुख सदस्य होते हैं:-

अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष (सभापति)

4 श्रीमहंत

4 सेक्रेटरी

4 श्रीमहंत थानापति (मुख्यालय वाराणसी से)

4 अष्टकौशल महंत

इन सभी सदस्यों की सहमति से ही अंतिम निर्णय लिया जाता है.

आपातकालीन स्थिति में कैसे होती है बैठक?

बताते चले कि यदि कोई आपातकालीन मामला आता है, तो न्यूनतम 24 घंटे का समय सदस्यों को बैठक में उपस्थित होने के लिए दिया जाता है. सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होती है, ताकि निष्पक्ष निर्णय लिया जा सके.

कहां लागू होती है यह परंपरा?

इसके अलावा आपको बता दें कि यह न्यायिक परंपरा मुख्य रूप से शैव अखाड़ों में लागू होती है. विशेष रूप से जहां रमता पंच की व्यवस्था होती है, वहां यह परंपरा देखी जाती है. रमता पंच ही अखाड़ों की न्यायिक प्रणाली का संचालन करते हैं.

हालांकि, जूना अखाड़ा न केवल धार्मिक परंपराओं को निभाता है, बल्कि अपनी न्यायपालिका के माध्यम से अनुशासन और निष्पक्षता बनाए रखता है. यह प्रणाली संतों और अखाड़े के सदस्यों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करती है. First Updated : Wednesday, 15 January 2025