सावन महीने में उत्तराखंड के इन मंदिरों के करें दर्शन, मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद
Sawan Somvar 2024: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन की शुरुआत 22 जुलाई से होगी. इस बार सावन के 5 सोमवार पड़ रहे हैं. सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष फलदायी बताया गया है. अगर आप इस महीने भगवान भोलेनाथ के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करने की सोच रहे हैं तो, उत्तराखंड इसके लिए सबसे बेस्ट साबित होगा. देवभूमि उत्तराखंड के कुछ मंदिरों में दर्शन करने से भगवान भोलेनाथ का पूरा आशीर्वाद प्राप्त होता है.
Sawan Somvar 2024: सावन महीने की शुरुआत 22 जुलाई 2024 को हो रही है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, सावन के महीने में भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था, इस वजह से ये महीना भोलेनाथ को अति प्रिय है. श्रावण मास में शिव जी की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्द पूरी हो सकती हैं. ऐसे में सावन में लोग प्राचीन शिव मंदिरों, शिवालयों, ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए जाते हैं और मंदिरों में रुद्राभिषेक कराते हैं.
प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है भगवान शिव का देवभूमि में वास होता है. यहां प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों का घर है. यहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम स्थित है, जो कि विश्व प्रसिद्ध है और उत्तराखंड के चार धामों में शामिल है. इसके अलावा भी इस राज्य में कई प्राचीन शिव मंदिर हैं. सावन के महीने में उत्तराखंड के इन शिव मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए जा सकते हैं.
केदारनाथ मंदिर
सावन के महीने लोग सबसे ज्यादा जिस मंदिर के दर्शन करते हैं उनकी लिस्ट में सबसे पहले केदारनाथ आता है. केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मंदिर है.केदारनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग में है. ये हिमालय की गोद में स्थित है, मान्यता है इसे पांडवों ने बनवाया था और आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्निर्माण कराया. हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने को आते हैं.
तुंगनाथ मंदिर
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में तुंगनाथ मंदिर है, जिसे पंच केदार में से एक माना जाता है. पहाड़ों में बसी ये खूबसूरत जगह भोलेनाथ को समर्पित है. ये दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है. मंदिर 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, ये मंदिर त्रिशूल, नंदा देवी और चौखंबा की पहाड़ियों के समीप है.
नीलकंठ महादेव मंदिर
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में नीलकंठ महादेव का मंदिर है. यहां सावन के महीने में भक्तों का भारी भीड़ लगती है. ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर की दूरी लगभग 32 किमी है. इस स्थान पर शिव जी ने समुद्र मंथन के दौरान विषपान किया था.