नागा साधु, जो अपने कठोर जीवन और तपस्या के लिए जाने जाते हैं, अपने नियमों और खानपान के मामले में भी बेहद अनुशासित होते हैं. ये साधु पूरी तरह से सांसारिक चीजों से दूर रहते हैं और अपने शरीर और मन को शुद्ध रखने के लिए विशेष आहार का पालन करते हैं. तो चलिए जानते हैं कि नागा साधु क्या खाते हैं और उनके खाने से जुड़ी कुछ खास बातें.
नागा साधु अपनी दिनचर्या में सिर्फ जरूरी चीजें खाते हैं. वे स्वाद या मसालेदार खाना पसंद नहीं करते. उनका आहार बहुत साधारण होता है, ताकि शरीर और मन पर कोई बुरा असर न पड़े. वे आमतौर पर हलका और पवित्र खाना खाते हैं जो साधना के दौरान किसी भी प्रकार की विघ्न न डाले.
नागा साधु शाकाहारी होते हैं. वे मांसाहार से पूरी तरह परहेज करते हैं. उनका विश्वास है कि शाकाहारी आहार से शरीर को शुद्धता मिलती है और यह उन्हें अपनी साधना पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है. इन साधुओं का मानना है कि शाकाहार से शरीर और मन की पवित्रता बनी रहती है.
नागा साधु सामान्यत: प्राकृतिक और साधारण भोजन करते हैं, जैसे कि दाल, चावल, रोटियां और सब्जियां. उनका आहार न सिर्फ हल्का होता है, बल्कि इसमें ताजगी और शुद्धता होती है. यह उनकी तपस्या और साधना के रास्ते में किसी भी तरह की रुकावट नहीं डालता.
नागा साधु नियमित रूप से उपवास रखते हैं और त्याग की भावना में विश्वास करते हैं. उपवास उनके जीवन का अहम हिस्सा है, जो उन्हें अपनी आत्मा को शुद्ध करने और अपने लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है. वे यह मानते हैं कि अधिक खाना खाने से शरीर और मन पर बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए वे कम खाते हैं.
पानी का सेवन नागा साधुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है. वे शुद्ध पानी पीते हैं और कई साधु तो दिनभर सिर्फ पानी पर ही रहते हैं. उनका मानना है कि पानी जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इसका सेवन शरीर की ऊर्जा और ताजगी को बनाए रखता है.
नागा साधु अपने खाने को अकेले और शांति से करना पसंद करते हैं. वे भीड़-भाड़ और उत्सवों से दूर रहते हैं और भोजन के समय ध्यान और साधना में व्यस्त रहते हैं. उनका ध्यान हमेशा अपनी साधना और तपस्या पर रहता है, ताकि उनका मन भटके नहीं और उनका शरीर शुद्ध रहे.
अधिकतर नागा साधु दिन में एक बार खाना खाते हैं और रात के समय वे भोजन से बचते हैं. उनका उद्देश्य शरीर को हल्का रखना होता है ताकि वे अपने ध्यान और साधना में बिना किसी विघ्न के रम सकें. नागा साधुओं के खाने से जुड़ी यह विशेषताएँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में अनुशासन और संयम कितने महत्वपूर्ण हैं. वे न केवल शरीर, बल्कि मन और आत्मा की शुद्धता की ओर भी काम करते हैं और यही उनकी साधना का आधार बनता है.