महात्मा को जीवन में किसी और पाप के बिना सिर्फ बगुले को उड़ाने के कारण जाना पड़ा नरक

जितना समय हमारा मन भगवान के नाम, रूप, लीला, गुण और धाम में लगा रहता है, उतना ही समय हम पाप से मुक्त रहते हैं। भगवान का ध्यान करने से मन शुद्ध होता है और बुराइयों से बचा रहता है। उनके अद्भुत गुणों और लीलाओं का चिंतन हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, जिससे हम सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर शांति और आनंद का अनुभव कर सकते हैं। इसलिए हमें हर समय भगवान की शरण में रहकर उनके स्मरण में लगे रहना चाहिए।

Lalit Sharma
Lalit Sharma

धर्मिक न्यूज.  एक महात्मा ने अपना पूरा जीवन हरि भजन और कीर्तन में समर्पित कर दिया था। उनके आश्रम के सामने एक तालाब था। जब उनके जीवन का अंतिम समय आया, तो उन्होंने देखा कि एक बगुला मछली पकड़ रहा था। महात्मा ने उसे उड़ाकर भगा दिया। उसी समय उनका शरीर छोड़ने के बाद, उन्हें नरक में जाना पड़ा। उनके शिष्य को स्वप्न में महात्मा के दर्शन हुए, जहां वे कह रहे थे, "बेटा! हमने जीवन भर कोई पाप नहीं किया, सिर्फ एक बगुले को उड़ाने के कारण मुझे नरक मिला है, लेकिन तुम सावधान रहना।

जब इस शिष्य का भी शरीर छूटने का समय आया तो वही दृश्य पुनः आया। बगुला मछली पकड़ रहा था। गुरु का निर्देश मानकर उसने बगुले को नहीं उड़ाया। मरने पर वह भी नरक पहुंचा, तब एक गुरुभाई को आकाशवाणी द्वारा पता चला कि गुरुजी ने तो बगुला उड़ाया था इसलिए नरक गये, हमने नहीं उड़ाया इसलिए नरक प्राप्त हुआ है, पर तुम बचके रहना!

यह घटना सिर्फ संयोगवश हुई

जब उन गुरुभाई के जीवन का अंतिम समय आया, तब संयोगवश फिर से एक बगुला मछली को पकड़ते हुए दिखाई दिया। गुरुभाई ने भगवान को प्रणाम करते हुए विनम्रतापूर्वक प्रार्थना की, "हे भगवान! आप मछली में भी हैं और बगुले में भी। हमें नहीं पता कि सही क्या है और गलत क्या। पाप और पुण्य का भेद भी हमारी समझ से परे है। आप ही सब कुछ संचालित करते हैं। मुझे तो केवल आपके ध्यान में लीन रहने से ही मतलब है।" इतना कहकर जब उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली, तब उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति हुई।

श्री नारद ने भगवान से पूछा, “भगवन! अंततः वे नरक क्यों गये? महात्मा ने बगुला उड़ाकर कोई पाप तो नहीं किया?” उतर में भगवान ने कहा, “नारद! उस दिन बगुले का आहार मछली था, पर गुरुवर ने उसे उड़ा दिया। भूख से छटपटा कर बगुले का अंत हुआ, अतः पाप लगा, इसलिए उनको नरक जाना पड़ा।” नारद ने फिर पूछा, “दूसरे ने तो नहीं उड़ाया, वह क्यों नरक गया?”

उस दिन बगुले का पेट भरा था

भगवान बोले, “उस दिन बगुले का पेट भरा था, वह केवल विनोद वश मछली पकड़ रहा था, उसे उड़ा देना चाहिए था। शिष्य से भूल हुई और इस पाप के कारण उसे नरक मिला।” नारदजी ने फिर से पूछा, "और तीसरा?" भगवान ने उत्तर दिया, "तीसरा व्यक्ति मेरे भजन में लीन हो गया। उसने अपनी सारी ज़िम्मेदारियाँ मुझे सौंप दीं। जो होना था, वह हुआ; लेकिन मेरे साथ संबंध जोड़ने और मेरे चिंतन के प्रभाव से वह मेरे धाम को प्राप्त हुआ।"

निरंतर भगवान का स्मरण करें

इसलिए, पाप और पुण्य की चिंता में समय न गंवाकर जो व्यक्ति निरंतर भगवान का स्मरण करता है, वह मेरे परम धाम को प्राप्त होता है। जितना समय हमारा मन भगवान के नाम, रूप, लीला, गुण, और धाम में लगा रहता है, उसी समय हम पाप से मुक्त रहते हैं। अतः हमें सदैव हरि का नाम लेना चाहिए, हरि की चर्चा करनी चाहिए और हरि की कथा सुननी चाहिए।

calender
27 October 2024, 10:23 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो