Hajj: हज के दौरान मक्का-मदीना में जाकर क्या करते हैं लाखों मुसलमान इस साल पहुंचे 20 लाख लोग

Hajj 2023: इस्लाम में 5 फर्ज़ माने जाते हैं, जिसमें कलमा, रोज़ा, नमाज़, ज़कात और हज है. इस्लाम के इन पाँचों फ़र्ज़ में सबसे आखिर में आता है. इस्लाम के मुताबिक़, जो व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक तौर पर मज़बूत है और वो बिना कर्ज़ लिए हज के लिए जा सकता है तो उसको अपनी जिंदगी में एक बार हज करना ज़रूरी होता है.

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Hajj 2023: इस्लाम में 5 फर्ज़ माने जाते हैं, जिसमें कलमा, रोज़ा, नमाज़, ज़कात और हज है. इस्लाम के इन पाँचों फ़र्ज़ में सबसे आखिर में आता है. इस्लाम के मुताबिक़, जो व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक तौर पर मज़बूत है और वो बिना कर्ज़ लिए हज के लिए जा सकता है तो उसको अपनी जिंदगी में एक बार हज करना ज़रूरी होता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल लगभग 20 लाख लोग हज पर गए हैं.

कब से शुरू हुआ हज का सफ़र?

साल 628 में पैग़ंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक सफ़र शुरू किया था. ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैग़ंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया. इसी को हज कहा जाता है. इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने पत्थर की एक छोटी सी इमारत बनाई थी. जिसे क़ाबा कहते हैं. हालांकि बाद में धीरे-धीरे लोगों ने यहां अलग-अलग ईश्वरों की पूजा शुरू कर दी. इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों का मानना है कि इसके बाद इस्लाम के आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद (570-632 ई.) को अल्लाह ने कहा कि वो क़ाबा को पहले जैसी स्थिति में लाएं और वहां सिर्फ़ अल्लाह की इबादत हो.

जमारात

जमारत वो जगह है जहां पर जाकर सांकेतिक तौर पर शैतान को पत्थर मारा जाता है. शैतान को पत्थर मारने के बाद हाजी एक बकरे या भेड़ की कुर्बानी देते हैं. जहां पर मर्द अपना सिर मुंडवाते हैं और महिलाएं अपना थोड़े से बाल काटती हैं.

ईद-उल-अज़हा

यात्री मक्का वापस लौटने के बाद क़ाबा के सात चक्कर लगाते हैं जिसे तवाफ़ कहते हैं. इसी दिन यानी ज़िल-हिज की दस तारीख़ को पूरी दुनिया के मुसलमान ईद-उल-अज़हा मनाती है. तवाफ़ के बाद हज यात्री फिर मीना लौट जाते हैं और वहां दो दिन और रहते हैं. महीने की 12 तारीख़ को आख़िरी बार हज यात्री क़ाबा का तवाफ़ करते हैं और दुआ करते हैं. इस तरह हज से हज पूरा होता है.

हज के दौरान की जाने वाली धार्मिक क्रियाएं

पूरे हज के दौरान जायरीन कुल 12 करते हैं, जिनको करने के बाद ही हज मुक़म्मल माना जाता है. 

अहराम-

हज के सफ़र के दौरान खास तरह के कपड़े पहने जाते हैं. मर्दों के लिए बिना सिला हुआ एक सफ़ेद चोगा होता है, जिसको वो पहनते हैं. वहीं महिलाएं सफ़ेद रंग के जिसमे उनका पूरा शरीर अच्छे से ढक सके. 

उमरा-

मक्का पहुंचकर जायरीन सबसे पहले उमरा करते हैं. उमरा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसको साल में कभी भी की जा सकता है, हालांकि ये इस वक़्त पे ज़रूरी नहीं होती है. आमतौर पर लोग हज के दौरान भी उमरा करते हैं.

अराफ़ात का मैदान

हज की शुरुआत इस्लामिक महीने ज़िल-हिज की आठ तारीख़ से होती है. आठ तारीख़ को हाजी मक्का से मीना शहर जाते हैं. आठ की रात हाजी मीना में गुज़ारते हैं और अगली सुबह यानी नौ तारीख़ को अराफ़ात के मैदान पहुंचते हैं. जहां  मैदान में खड़े होकर अपने गुनाहों की माफ़ी मांगी जाती है.

First Updated : Tuesday, 27 June 2023