17 या 18 सितंबर इस साल कब से है पितृपक्ष? जानें सही मुहूर्त और तिथि
Pitru Paksha 2024: हर साल पितृपक्ष हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाता है. इसमें विशेष पूजा और अराधना होती है, जिसमें कुछ चीजों का खास ख्याल रखा जाता है. इस साल पितृ पक्ष का आरंभ कब से हो रहा है, 17 या 18 सितंबर इसे लेकर लोगों में दुविधा है. ऐसे में आइए जानते हैं पितरों का पहला श्राद्ध किस दिन किया जाएगा और इस बार पितृ पक्ष कब से आरंभ होने जा रहा है.
Pitru Paksha 2024: पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. ये हिंदू कैलेंडर में मृतक पूर्वजों को समर्पित एक महत्वपूर्ण अवधि है. हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व माना जाता है. इस दौरान लोग अपने पितरों को प्रसन्न और संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं. माना जाता है कि पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती है. इस दिन उन पूर्वजों के सम्मान में श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु महीने की पूर्णिमा के दिन हुई थी.
माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी लोक आती हैं और प्रसाद व प्रार्थनाओं के प्रति सबसे अधिक ग्रहणशील होती हैं. इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृ दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है. इस साल पितृ पक्ष का आरंभ कब से हो रहा है, 17 या 18 सितंबर इसे लेकर लोगों में दुविधा है. ऐसे में आइए जानते हैं पितरों का पहला श्राद्ध किस दिन किया जाएगा और इस बार पितृ पक्ष कब से आरंभ होने जा रहा है.
कब है पितृपक्ष
हिंदू पचांग के अनुसार, पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहा है, लेकिन इस दिन श्राद्ध नहीं किया जाएगा. मंगलवार यानी 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा का श्राद्ध है पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म के कार्य प्रतिपदा तिथि से किए जाते हैं. इसलिए 17 सितंबर को ऋषियों के नाम से तर्पण किया जाएगा. दरअसल, श्राद्ध पक्ष का आरंभ प्रतिपदा तिथि से होता है. इसलिए 18 सितंबर से पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान आदि कार्य किए जाएंगे. ऐसे में देखा जाए तो पितृ पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से हो रहा है और यह 2 अक्तूबर तक चलेगा.
श्राद्ध करने का सबसे सही समय
शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो पितृ पक्ष में सुबह और शाम के समय देवी देवताओं की पूजा को शुभ बताया गया है. साथ ही पितरों की पूजा के लिए दोपहर का समय होता है. वहीं पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 11:30 से 12:30 बजे तक बताया जाता है. इसलिए आपको पंचांग में अभिजीत मुहूर्त देखने के बाद श्राद्ध कर्म करें.