Vinayak Chaturthi 2025: 2 या 3 मार्च... जानें कब है विनायक चतुर्थी, कैसे की जाती है पूजा?
Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी का दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस साल फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी को लेकर कंफ्यूजन है कि ये 2 मार्च को है या 3 को. आइए जानते हैं इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इससे जुड़ी खास बातें.

Vinayak Chaturthi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की आराधना के लिए विशेष मानी जाती है. इस दिन विधिपूर्वक गणपति बप्पा की पूजा और व्रत करने से समस्त कष्टों का निवारण होता है. मान्यता है कि यह व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. इस वर्ष फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी की तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई थी, क्योंकि यह 2 मार्च की रात में प्रारंभ हो रही है और 3 मार्च की शाम तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, व्रत और पूजा 3 मार्च, सोमवार को संपन्न की जाएगी. आइए जानते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और इस दिन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 मार्च 2025 को रात 09:01 बजे प्रारंभ होगी और 3 मार्च को शाम 06:02 बजे समाप्त होगी. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, उदया तिथि को व्रत और पूजा का अधिक महत्व दिया जाता है, इसलिए इस बार विनायक चतुर्थी का व्रत 3 मार्च को रखा जाएगा. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:23 बजे से दोपहर 01:43 बजे तक रहेगा. मान्यता है कि इस विशेष समय में विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है.
विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन गणपति बप्पा को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है. यह तिथि ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है.
कैसे करें गणेश जी की पूजा?
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इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
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व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं.
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इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी) से स्नान कराकर पुनः स्वच्छ जल से स्नान कराएं.
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श्री गणेश का चंदन, कुमकुम, रोलीऔर फूलों से श्रृंगार करें.
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उन्हें मोदक, लड्डू, फल, दूर्वा और अन्य भोग अर्पित करें.
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गणेश मंत्रों का जप करें
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गणेश व्रत कथा का पाठ करें और फिर भगवान गणेश की आरती करें.
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संध्या के समय भगवान गणेश को भोग अर्पित कर व्रत खोलें.
इस दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान
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विनायक चतुर्थी के दिन भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन न करें, क्योंकि इससे मिथ्या दोष लग सकता है.
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व्रत के दौरान तामसिक भोजन, नकारात्मक विचार और क्रोध से बचें.
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इस दिन बड़े-बुजुर्गों का अनादर न करें, बल्कि उनका आशीर्वाद लें.
Disclaimer: ये आर्टिकल धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.