कौन हैं मुर्गी वाली माता? जिनकी महाकुंभ में सबसे पहले किन्नरों ने की पूजा
महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की खासा चर्चा है. किन्नर अखाड़े के 13 उप अखाड़े हैं. किन्नर अखाड़े की कुलदेवी बहुचरा माता हैं. इनको मुर्गी वाली माता भी कहा जाता है. सबसे पहले किन्नर अखाड़े में इन्हीं की पूजा होती है. यह अखाड़ा देशभर में 10 स्थानों पर मठ संचालित करता है.
महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़ा इन दिनों खासा सुर्खियों में है. खासकर बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के संन्यास लेने और किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने के बाद. ममता कुलकर्णी कभी फिल्मी दुनिया का हिस्सा थीं वो अब साध्वी जीवन अपना चुकी हैं. किन्नर अखाड़ा, जो श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के अधीन आता है. अब धार्मिक क्षेत्र में एक अहम स्थान बना चुका है. यह अखाड़ा देशभर में 10 स्थानों पर मठ संचालित करता है. इसके 13 उप अखाड़े भी हैं.
किन्नर अखाड़े की धार्मिक धारा
किन्नर अखाड़े में शैव संप्रदाय, भगवान विष्णु और गुरु नानक देव के अनुयायी किन्नरों को जगह दी जाती है. गुजरात के अहमदाबाद में बहुचरा माता का मंदिर, जिसे मुर्गी वाली माता भी कहा जाता है, किन्नरों की कुल देवी मानी जाती हैं. उनकी पूजा सबसे पहले किन्नर अखाड़े में होती है. यह मंदिर किन्नरों के धार्मिक जीवन का अहम केंद्र है.
किन्नर अखाड़े की स्थापना
किन्नर अखाड़े की स्थापना का श्रेय डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को जाता है. ये लंबे समय से किन्नरों के अधिकारों के लिए काम कर रही थीं और 2015 में किन्नर अखाड़े की नींव रखी. हालांकि, इस पहल का विरोध अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने किया, लेकिन डॉ. त्रिपाठी ने अपने समुदाय के हित के लिए अखाड़े की स्थापना जारी रखी. 2016 में उज्जैन कुंभ में किन्नर अखाड़े ने अपना अलग कैंप लगाया और शाही स्नान भी किया, जिसके बाद उन्होंने खुद को उपदेव के रूप में प्रस्तुत किया.
किन्नर अखाड़े का लगातार विस्तार
2018 में किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर ने देशभर के प्रमुख राज्यों में अलग-अलग महामंडलेश्वर नियुक्त किए, जिससे अखाड़े का विस्तार हुआ. अब यह अखाड़ा न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका है. किन्नर अखाड़ा आज धर्म, समाज और समाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है. इसके विकास की कहानी अब हर किसी के जुबां पर है.