‘मुझे कुटिया में नहीं, शहर में रहना पंसद है, ऐसा आखिर क्यों बोली जया किशोरी

जया किशोरी ने बताया है कि मेरा जीवन आम लोगों की तरह ही बीता है।मैंने अपने जीवन में खूब खेल-कूद किया साथ ही मुझे मनोरंजन, अध्यात्म, धर्म पसंद है।

Shweta Bharti
Shweta Bharti

हाइलाइट

  • आप ने कई ऐसे लोगों क देखा होगा जो एक दूसरे को देखकर तुलना करते हैं इस तरह की आदते मुझे पसंद नहीं हैं।

Jaya Kishori: आप ने कई ऐसे लोगों क देखा होगा जो एक दूसरे को देखकर तुलना करते हैं इस तरह की आदते मुझे पसंद नहीं हैं। मन में इस तरह की भावना रखने से ही मनुष्य आज डिप्रेशन में जा रहा है। जया किशोरी ने शनिवार को कुछ मुद्दों पर सुधीर चौधरी के सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बेहतर जीवन बिताने के लिए खुलकर बात की।

किससे है जया किशोरी की पहचान?

जया किशोरी से पूछा गया कि आपकी पहचान किससे है। इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सब-कुछ थोड़ा-थोड़ा, मेरी पहचान सबसे पहले कथावाचक के तौर पर होनी चाहिए, क्योंकि जब मैंने मोटिवेशन सेशन शुरू किए थे तो उसके बहुत से कारण थे। जिसमें मुझे युवाओं को धर्म से जोड़ना था।

जैसा कि आप लोग जानते ही है कि कथा 7 दिनों की होती है और 3 या 4 घंटे तक चलती है।इसके साथ ही श्रीमद्भागवत में तीन बातें काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। सत, चित्त और आनंद इसका अर्थ है कि सच्चिदानंद आनंद ही भगवान हैं।

हर व्यक्ति के जीने का तरीका अलग होता है’

 इस बात को लेकर कई लोग यह सोचते हैं कि क्या जया किशोरी ने कहीं से कोई ट्रेनिंग हासिल कर रखी है? इस पर उन्होंने कहा है कि मुझे एक दूसरे से तुलना करना पसंद नहीं है यही एक कारण है कि आज युवाओं में डिप्रेशन की समस्या लगातार बढ रही है।

सभी लोगों की सोच अलग-अलग होती है साथ ही सबका जीने का तरीका भी अलग होता है। साधु के लिए बैलेंस माइंड हना जरूरी है, सुख दुख-कोई मायने नहीं रखता है। लोगों के जीवन में जब अनेक प्रकार के कष्ट आते हैं, तो, तभी लोग मानते हैं कि साधु-संत हैं।

calender
02 June 2023, 06:40 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो