हिंदू धर्म में अधिकतर लोग उल्लू को अशुभ मानते हैं वहीं कुछ लोग उल्लू को शुभ भी मानते हैं. कहा जाता है कि दीवाली वाले दिन यदि व्यक्ति ने उल्लू को देख लिया हो उसका घर धन से भर जायेगा. साथ ही माता लक्ष्मी उस घर में प्रवेश करती हैं.
शास्त्रों के अनुसार हर देवी-देवता पर कोई न कोई वाहन आवश्य होता है ठीक उसी तरह माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू माना जाता है. उल्लू का माता लक्ष्मी का प्रिय वाहन माना जाता है कि लेकिन अधिकतर लोग उल्लू से डरकर भाग जाते हैं. तो वहीं कुछ लोगों को उल्लू के दर्शन हो जाते हैं उल्लू के दर्शन होगा शुभ माना जाता है. कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि आखिर माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू कैसे बना तो आइए जानते हैं कि क्या है इसके पीछे की असली वजह?
शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि सृष्टि की रचना करने के बाद सभी देवी-देवता धरती पर आए. उसी समय पशु-पक्षी उनके पास पहुंचे और उनको अपनी सवारी बनाने का आग्रह करने लगे. देवी लक्ष्मी का वाहन बनने के लिए सभी पशु-पक्षी में होड़ मच गई.
माता लक्ष्मी ने सभी पक्षियों से कहा हर वर्ष मैं कार्तिक मास की अमावस्या पर धरती पर आऊंगी और तभी से अपना वाहन भी चुनूंगी. तभी से उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन बन गया.
कहा जाता है कि यदि उल्लू सर के ऊपर से उड़ रहा हो या आवाज देकर पीछा कर रहा हो तो यात्रा शुभ मानी जाती है. सुबह उल्लू की आवाज सुनना सौभाग्य कारक और लाभदायक माना गया है,
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यदि गर्भवती स्त्री उल्लू को स्पर्श कर लें तो उसकी होने वाली संतान क्षेष्ठ होती है. उल्लू से यदि किसी गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति का अकस्मात स्पर्श कर ले तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है. First Updated : Tuesday, 18 July 2023