जब परशुराम जी के वार से गणपति का दांत टूट गया तो उन्हें भोजन ग्रहण करने में कापी दिक्कत आने लगी. तब माता पार्वती ने उनकी इस परेशानी को दूर करने के लिए मुलायम मोदक बनाए थे. मोदक खाने से गणेश जी बहुत खुश हो गए थे. तभी से ये उनका पसंदीदा भोजन है.
एक बार गणेश जी परिवार के साथ अत्रि ऋषि की पत्नी माता अनुसूया के घर गए. गणेश जी ने अपना सारा भोजन खत्म कर लिया, भंडार भी खाली हो गए लेकिन फिर भी उनका पेट नहीं भरा तो माता अनुसूइया ने उन्हें मीठे-मीठे मोदक परोसे. जिसे खाकर उनका पेट भर गया था.
मोदक का मतलब खुशी होता है. गणपति जी हमेशा खुश रहने वाले देवता माने जाते हैं. यही वजह है गणेश जी की पूजा में मोदक जरुर चढ़ाया जाता है.
मान्यता है कि गणेश उत्सव के दौरान बप्पा को मोदक का भोग लगाने से रोग, शोक, दुख, दरिद्रता का दूर होती है.
29 सितंबर को गणेश जी की घरों से विदाई की जाएगी. यानी 29 सितंबर को गणेश विसर्जन किया जाएगा.