मौनी अमावस्या क्यों है महाकुंभ का सबसे बड़ा दिन? जानिए इसके पीछे क्या महत्व

Mauni Amavasya: महाकुंभ में हर दिन का अपना महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को सबसे बड़ा और पावन स्नान पर्व माना जाता है. इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

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Edited By: Aprajita

Mauni Amavasya: महाकुंभ में हर दिन का अपना महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को सबसे बड़ा और पावन स्नान पर्व माना जाता है. इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है.  

आइए जानते हैं कि मौनी अमावस्या महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण दिन क्यों माना जाता है और इसके पीछे कौन-से धार्मिक और ज्योतिषीय कारण हैं.  

मौनी अमावस्या का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों की शांति और आत्मशुद्धि के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है. विशेष रूप से माघ मास की अमावस्या को "मौनी अमावस्या" कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मौन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है.  

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार:

- इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इसे "सृष्टि का प्रारंभ दिवस" भी कहा जाता है.  

- इस दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

- पवित्र संगम में स्नान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

- शास्त्रों के अनुसार, इस दिन मौन व्रत और ध्यान करने से आत्मिक शुद्धि होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

महाकुंभ में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व

महाकुंभ में मौनी अमावस्या का दिन इसलिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह सबसे बड़े "शाही स्नान" का दिन होता है. इस दिन सभी अखाड़ों के साधु-संत, नागा बाबा और श्रद्धालु संगम में पवित्र स्नान कर धर्म और आध्यात्म का संदेश देते हैं.  

इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि, इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, जिससे गंगा स्नान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है.शास्त्रों में इसे "अमृत स्नान" कहा गया है, यानी जो इस दिन गंगा में स्नान करता है, वह अमृत के समान पुण्य अर्जित करता है. यह दिन संकल्प, ध्यान और भक्ति का प्रतीक माना जाता है.

मौनी अमावस्या पर स्नान और दान का महत्व

मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान के साथ-साथ दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन किए गए दान से कई गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है.  

मौनी अमावस्या के दिन क्या करें?

पवित्र नदी में स्नान करें.

मौन व्रत रखें और ध्यान करें.  

गरीबों को अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और कंबल दान करें. 

भगवान विष्णु और शिव की पूजा करें।  

भगवद गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.  

मौनी अमावस्या क्या न करें?

इस दिन क्रोध, झूठ और अपशब्दों से बचना चाहिए.

तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से दूर रहें. 

किसी का अपमान न करें और वाद-विवाद से बचें.

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29 January 2025, 07:31 AM IST

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