Mahabharat: अच्छा तो इसलिए औरतों के पेट में नहीं पचती कोई बात... युधिष्ठिर का गुस्सा, जानें क्यों दिया था महिलाओं को एक खतरनाक श्राप!
महाभारत में एक दिलचस्प घटना हुई थी, जब युधिष्ठिर ने गुस्से में आकर महिलाओं को एक श्राप दिया था. यह श्राप उनकी माता कुंती से जुड़ा था और इसकी वजह थी कर्ण से जुड़ी एक चौंकाने वाली सच्चाई. जानिए इस श्राप के पीछे की पूरी कहानी और कैसे इसने महाभारत के घटनाक्रम को प्रभावित किया!

Mahabharat: महाभारत की कथा में कई ऐसी घटनाएं हैं जो आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में गहरी छाप छोड़ती हैं. एक ऐसी ही घटना है, जब युधिष्ठिर ने क्रोधित होकर महिलाओं को एक श्राप दिया था. इस श्राप का संबंध उनकी माता कुंती से जुड़ा हुआ था और इसने एक दिलचस्प मोड़ लिया था. आइए जानते हैं इस दिलचस्प कहानी के बारे में और समझते हैं कि आखिर क्या वजह थी जिसने धर्मराज युधिष्ठिर को इतना गुस्से में ला दिया.
कुंती और कर्ण का रहस्य
महाभारत के समय एक बहुत बड़ा रहस्य था, जिसे बहुत कम लोग जानते थे. वो रहस्य था कर्ण का जो सूर्य पुत्र होने के बावजूद कुंती के पुत्र थे. हालांकि, कुंती का कर्ण से कोई खुलासा नहीं हुआ था. कर्ण को कुंती ने उस समय जन्म दिया था जब वो अविवाहित थीं. लोक लाज के डर से कुंती ने कर्ण को नदी में छोड़ दिया था. बाद में कर्ण को भीष्म के सारथी अधिरथ और उनकी पत्नी राधा ने पाला और उन्हें अपना पुत्र मान लिया. कुंती का विवाह पांडु से हुआ और उनके पांच बेटे पांडव कहलाए. लेकिन कर्ण का यह राज छुपा रहा और किसी को इसकी जानकारी नहीं थी. यह सच केवल भगवान कृष्ण को पता था जो बाद में पांडवों को इसका खुलासा करेंगे.
कुंती का कर्ण से विलाप और युधिष्ठिर का गुस्सा
कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान एक रात पांडवों को किसी के रोने की आवाज आई. जब उन्होंने देखा तो पाया कि उनकी माता कुंती कर्ण के शव से लिपटकर विलाप कर रही थीं. यह देखकर पांडव हैरान हो गए और उन्हें समझ नहीं आया कि शत्रु की मृत्यु पर उनकी माता इस तरह रो क्यों रही हैं. इसके बाद कुंती ने उन्हें पूरी सच्चाई बताई और बताया कि कर्ण उनका ही पुत्र था, जिसे उसने लोक लाज के डर से नदी में छोड़ दिया था.
यह सुनकर युधिष्ठिर का गुस्सा सातवें आसमान पर था. उनका दिल बहुत आहत हुआ क्योंकि कर्ण, जो उनके ही भाई थे, उनके खिलाफ लड़ा था. और जब इस बात का खुलासा हुआ तो युधिष्ठिर ने क्रोध में आकर एक घातक श्राप दिया. उन्होंने कहा, 'अब से कोई भी महिला अपने पेट में कोई बात नहीं रख पाएगी, चाहे वह कोई भी बात हो.'
श्राप का प्रभाव और उसका कारण
युधिष्ठिर का यह श्राप इतना शक्तिशाली था कि इसका असर महिलाओं पर आज भी देखा जाता है. कहा जाता है कि इस श्राप के कारण महिलाएं कभी भी अपने पेट में कोई बात नहीं छिपा सकतीं. यह श्राप जीवन के कई पहलुओं से जुड़ा हुआ था क्योंकि युधिष्ठिर का मानना था कि महिला के अंदर छिपी बातें अगर बाहर आ जातीं तो कर्ण जैसे अपूर्व बलशाली और योग्य व्यक्ति को अपनी पहचान नहीं छुपानी पड़ती.
महाभारत युद्ध में पांडवों की जीत
अब बात करते हैं उस महाक्रांति की जो कुरुक्षेत्र में हुई. युद्ध में कौरवों की सेना ज्यादा पराक्रमी थी लेकिन महाभारत में जो जीत होती है वह हमेशा धर्म और सत्य की होती है. पांडवों के पास सत्य, धर्म और भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद था. यही कारण था कि अंत में कौरवों की बड़ी सेना के बावजूद पांडवों ने जीत हासिल की.