अन्नामलाई ने तमिलनाडु भाजपा प्रमुख की दौड़ से स्वयं को रखा बाहर, पार्टी के अच्छे भविष्य की कामना की
भाजपा नेता के. अन्नामलाई ने कहा कि वे तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में नेता पद की प्रतिस्पर्धा नहीं करते, बल्कि सभी मिलकर निर्णय लेते हैं. कोयंबटूर में मीडिया से बात करते हुए अन्नामलाई ने भाजपा के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि इस पार्टी के उत्थान के लिए कई लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है.

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता के. अन्नामलाई ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि वह तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी में नेता पद की प्रतिस्पर्धा नहीं करते, बल्कि सभी मिलकर निर्णय लेते हैं. मैं इस पद की दौड़ में नहीं हूं.
अन्नामलाई ने की भाजपा के उज्ज्वल भविष्य की कामना
कोयंबटूर में मीडिया से बात करते हुए अन्नामलाई ने भाजपा के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और कहा कि इस पार्टी के उत्थान के लिए कई लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है. उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि पार्टी का विकास सतत रूप से हो. उन्होंने राजनीतिक अटकलों पर विराम लगाते हुए दोहराया कि वह राज्य अध्यक्ष बनने की दौड़ में नहीं हैं. साथ ही, उन्होंने भाजपा को अन्य दलों से अलग बताते हुए कहा कि यह पार्टी उन संगठनों की तरह नहीं है, जहां कई नेता अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करते हैं.
अन्नामलाई का राज्य प्रमुख के पद से हटना लगभग तय माना जा रहा है. कई लोगों का मानना है कि यह फैसला जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर लिया जा रहा है, लेकिन कुछ इसे भाजपा में उनके बढ़ते प्रभाव के रूप में भी देख रहे हैं. अन्नामलाई, जो पहले एआईएडीएमके के साथ गठबंधन पर कड़ा रुख अपनाए हुए थे, हाल ही में नरम पड़े हैं. हालांकि, उन्होंने इस बदलाव पर अधिक टिप्पणी करने से बचते हुए कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री की राय को अंतिम माना जाए. इस बदलाव की पृष्ठभूमि में अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी और गृह मंत्री अमित शाह की हालिया बैठक मानी जा रही है.
भाजपा की राज्य में मौजूदगी मजबूत
2023 में अन्नामलाई ने एआईएडीएमके नेताओं जे. जयललिता और सी.एन. अन्नादुरई की तीखी आलोचना की थी, जिससे दोनों पार्टियों के संबंध बिगड़ गए. इस वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और एआईएडीएमके अलग-अलग लड़ीं और भारी हार झेलनी पड़ी. भले ही भाजपा राज्य में कोई सीट न जीत सकी, लेकिन अन्नामलाई के नेतृत्व में पार्टी के वोट शेयर में वृद्धि हुई. पूर्व आईपीएस अधिकारी के रूप में उन्होंने लगातार मुद्दे उठाए, जिससे भाजपा की राज्य में मौजूदगी मजबूत बनी रही.