Divorce Month: जनवरी साल का शुरुआती महीना होता है जो लोगों के जीवन में खुशियां लेकर आता है. लेकिन इस महीने में सबसे ज्यादा रिश्ते भी टूटते हैं. इस महीने में ज्यादा रिश्ते टूटने के कारण ही इसे 'तलाक' का महीना भी कहा जाता है. तो चलिए इसके पीछे के दिलचस्प किस्से जानते हैं.
दरअसल, साल की शुरुआती महीने यानी जनवरी को ही तलाक का महीना कहा जाता है. जहां एक तरफ नए साल की शुरुआत होने पर लोग खुशिया मनाते हैं तो वहीं दूसरी तरफ तलाक की बात इन खुशियों में गम घोल देती है. तो चलिए जानते हैं कि, आखिर क्यों जनवरी को ही तलाक का महीना कहा जाता है.
एक स्टडी के मुताबिक जनवरी को तलाक का महीना कहा जाता है. फेस्टीव सीजन समाप्त होने के बाद आने वाला महीना जनवरी में तलाक की दर सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. स्टडी के मुताबिक, साल के 12 महीनों में सबसे ज्यादा तलाक इसी महीने में होती है इसलिए जनवरी को तलाक का महीने कहा जाता है.
वैसे तो भारत में तलाक दर एक प्रतिशत से भी कम है लेकिन पहले के मुकाबले में अब तलाक के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. वहीं पश्चिमी देशों की बात करें तो यहां बड़ी संख्या में तलाक देखने को मिलती है. हालांकि सबसे ज्यादा तलाक पुर्तगाल में होती है. इस देश में तलाक का दर 94 प्रतिशत है. इसके अलावा स्पेन में, 95 प्रतिशत, लक्जबर्ग में 79 प्रतिशत तलाक का दर है जो और देशों के मुकाबले ज्यादा है.
तलाक की बात करें तो सबसे ज्यादा तलाक पुर्तगाल में होता है तो वहीं सबसे कम भारत में होता है. भारत के अलावा, वियतनाम में 7 प्रतिशत, ताजिकिस्तान में 10, ईरान में 14, मैक्सिको में 17, इजिप्ट में 17, साउथ अफ्रीका में 17, ब्राजील में 21, तुर्की में 25 और कोलंबिया में 30 प्रतिशत तलाक के दर है जो कम है.
आपको बता दें कि, दुनिया में एक ऐसा भी देश हैं जहां तलाक जैसी कोई कानून नहीं है. इस देश का नाम फिलीपींस है जो दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जहां पति-पत्नी आपस में तलाक नहीं ले सकते हैं. इस देश में तलाकशुदा होना अपमान जैसा माना जाता है. हालांकि, इस देश में कुछ मुस्लिम नागरिकों को धर्म के आधार पर तलाक लेने की छूट दी गई है. First Updated : Tuesday, 30 January 2024