क्या वास्तव में बूढ़ा हो रहा है भारत? रिपोर्ट में हुआ खुलासा
India Ageing: यूएनएफपीए की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके मुताबिक भारत की बुजुर्ग आबादी में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है. यह 2050 तक कुल आबादी का 20% से अधिक हो सकती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 40% से अधिक बुजुर्ग गरीब संपत्ति वर्ग में आते हैं, जिसमें लगभग 18.7% बुजुर्ग बिना आय के जीवन यापन कर रहे हैं.
India Ageing: भारत की बुजुर्ग आबादी में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है, और यह 2050 तक कुल आबादी का 20% से अधिक हो सकती है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की 2023 इंडिया एजिंग रिपोर्ट के अनुसार, 2046 तक बुजुर्गों की संख्या बच्चों (0 से 15 वर्ष) की संख्या से अधिक होने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में बुजुर्ग आबादी की दशकीय वृद्धि दर 41% है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 40% से अधिक बुजुर्ग गरीब संपत्ति वर्ग में आते हैं, जिसमें लगभग 18.7% बुजुर्ग बिना आय के जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसी हालत में उनके जीवन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.
वृद्ध जनसंख्या की वृद्धि
यूएनएफपीए रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 80 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की जनसंख्या 2022 से 2050 के बीच लगभग 279% की दर से बढ़ेगी. इस उम्र वर्ग में विधवा और अत्यधिक आश्रित महिलाएं अधिक हैं, जो वैश्विक पैटर्न के अनुरूप है.
सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरुषों की तुलना में 60 वर्ष की आयु में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक है. गरीबी वृद्ध महिलाओं के लिए एक गंभीर समस्या है, जहां वे अकेले रहने और आय की कमी का सामना करती हैं. रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि वृद्ध जनसंख्या के स्त्रीकरण और ग्रामीणकरण से संबंधित चुनौतियों का समाधान नीतियों में किया जाना चाहिए.
राज्यों के बीच भिन्नता
रिपोर्ट में बताया गया है कि बुजुर्ग आबादी में वृद्धि दर में राज्यों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं. दक्षिणी क्षेत्र के राज्यों और कुछ उत्तरी राज्यों ने वृद्ध जनसंख्या का उच्च हिस्सा दर्ज किया है. इसके विपरीत, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे उच्च प्रजनन दर वाले राज्यों में वृद्ध जनसंख्या की हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना है, लेकिन यह भारतीय औसत से कम रहेगी.
कोविड-19 का प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बुजुर्गों की जरूरतों के प्रति सरकार और राज्य अधिकारियों की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं थी. नीतियों में वृद्ध व्यक्तियों के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
विश्वसनीय डेटा की कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बुजुर्गों से संबंधित कई मुद्दों पर विश्वसनीय डेटा की कमी है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण, परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण और जनगणना के आगामी डेटा संग्रह में वृद्ध व्यक्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल करने की आवश्यकता है.
सरकारी उपायों की आवश्यकता
यूएनएफपीए ने सरकार को वृद्ध व्यक्तियों के लिए योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और वृद्धाश्रमों को नियामक दायरे में लाने पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव दिया है. रिपोर्ट को "मूल्यवान रोडमैप" बताते हुए विशेषज्ञों ने इसे नीति निर्माताओं और बुजुर्गों की देखभाल से जुड़े सभी हितधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन कहा है.
सुझाव
रिपोर्ट में वृद्ध स्वयं सहायता समूहों के निर्माण को प्रोत्साहित करने, बहु-पीढ़ीगत घरों में रहने के महत्व और अल्पकालिक देखभाल सुविधाओं के विकास पर जोर दिया गया है. सरकार को यथासंभव घर पर बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए आवश्यक उपाय करने चाहिए.