Kasturba Gandhi Death Anniversary: शादीशुदा जीवन में पति पत्नी के बीच नोक-झोंक तो लग रहती है. ये खटपट समाज के सभी वर्गों में देखने को मिलती है. लेकिन कभी अपने सोचा है देश की जो महान हस्तियां और आदर्श कहे जाने वाले लोग हैं, क्या उनके वैवाहिक जीवन में भी इसी तरह की नोक-झोंक देखने को मिलती थी? इसको जानने के लिए महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के जीवन से जुड़ी कहानी एक से बढ़िया माध्यम है. ऐसे में हम आज कस्तूरबा गांधी की पुण्यतिथि पर जानेंगे उनके और गांधी के वैवाहिक जीवन से जुड़े अनकहे रहस्य के बारे में.
कस्तूरबा गांधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को पोरबंदर में हुआ था. उनके पिता गोकुलदास कपाड़िया अनाज कपड़े और कपास के जाने माने व्यापरी थे और गांधी जी के पिता करमचंद के बहुत करीबी थे जो उस समय पोरबंदर के दीवान थे. बता दें, कि महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी की सगाई सात साल की उम्र में और शादी 13 साल की उम्र में हुई थी.
कस्तूरबा गांधी की शिक्षा दीक्षा अधिक नहीं हुई थी. ऐसे में गांधी जी ने उन्हें पढ़ाने लिखाने का फैसला लिया था. लेकिन उनका सारा ध्यान बापू की सेवा में लगा रखा. कस्तूरबा गांधी का नाम आज भी एक अच्छी जीवन संगीनी के रूप में लिए जाता है. वह जीवन के हर मोड़ पर गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ससाथ खड़ी रहीं. यहां तक कि जब गांधी जी अफ्रीका गए तो वह भी उनके साथ गईं थी. जिस तरह गांधी जी को दुनिया बापू कहती है उसी तरह उन्हें 'बा' कहकर पुकारा जाता था. लेकिन वैवाहिक जीवन में इतना प्रेम और सद्भाव होने के बाद भी उनके बीच नोक झोंक लग रहती थी.
बता दें, कि कस्तूरबा मन से चंचल स्वभाव और समझदार थी. वहीं गांधी जी उनपर काफी जोर चलाते थे. इस वजह से दोनों के बीच काफी झगड़े भी होते थे लेकिन धीरे-धीरे कस्तूरबा ने गांधी से के इस स्वभाव को अपना लिया. ऐसे में कस्तूरबा और गांधी जी को लेकर एक किस्सा मशहूर है. बता दें, कि अफ्रीका में जब कस्तूरबा गांधी जी के साथ रहा करती थी तो उस समय उन्हें घर का सारा काम खुद ही करना पड़ता था. उस समय गांधी जी के दोस्तों का आना जाना लगा रहता था. ऐसे में शादी के बाद घर का सारा काम और मेहमानों के आवागमन ने उनकी मुशकीलें बढ़ा कर रख दी थीं. इन सब को लेकर उनके और बापू के बीच अक्सर झगड़े होते थे.
एक समय पर यह झगड़ा इतना गंभीर हो गया कि गांधी जी ने उन्हें घर से निकालने का फैसला तक कर लिया था. वहीं एक बार गांधी जी ने कस्तूरबा से एक मेहमान का टॉयलेट साफ करने के लिए कहा. लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ मना कर दिया. इस बात को लेकर काफी झगड़ा हुआ. लेकिन जब बाद में महात्मा गांधी खुद टॉयलेट की सफाई करने लगे तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होने लगी. First Updated : Thursday, 22 February 2024