कहानी सरबजीत की... जो हर दिन की तरह खेत पर हल लेकर गया और फिर कभी लौटा ही नहीं
ये कहानी तब की है जब पंजाब में आतंकवाद काफी ज्यादा था. उस समय पाकिस्तान से लगती पंजाब की सरहद पर तब कंटीली बाड़ नहीं थी..जिसको बाद उनको रॉ का जासूस बता कर गिरफ्तार कर लिया गया था. उस समय सरबजीत नशे में पाकिस्तान पहुंच गए थे.
Sarabjit Singh: लाहौर में अंडरवर्ल्ड डॉन अमीर सरफराज की 'अज्ञात हमलावरों' ने गोली मारकर हत्या कर दी. अमीर सरफराज वही है, जिसने ISI के इशारे पर पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत की हत्या की थी. सरबजीत को हत्यारे आमिर सरफराज कुख्यात अंडरवर्ल्ड शख्स है. इसको लाहौर में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के आदेश पर सरबजीत सिंह को फांसी देने में अपनी भूमिका के लिए जाने वाले सरफराज की एक गोलीबारी में मौत हो गई.
28 अगस्त 1990
सरबजीत की पत्नी सुखजीत कौर के अनुसार रोज की तरह ही उस दिन भी उसका पति घर से हल लेकर पाकिस्तान सीमा के पास स्थित खेत पर जुताई के लिए गया था। मगर फिर कभी नहीं लौटा.रोज की तरह ही उस दिन सरबजीत हल लेकर पाकिस्तान सीमा के पास स्थित खेत पर जुताई के लिए गया था. मगर फिर कभी नहीं लौटा. परिवार के लोग इंतजार करने के बाद शाम को खेत पर गए तो वहां सरबजीत नहीं मिला. इसके बाद उनकी 9 महीने कोई खबर नहीं मिली.
पहली सूचना जून 1991 में मिली
सरबजीत के घर डाकिया ने एक पत्र भेजा. जो पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से आया था. इस पत्र को सरबजीत ने लिखा था. इसमें उसने बताया था कि वो उस शाम शराब के नशे में बॉर्डर पार कर गया था जिसके बाद पाकिस्तान बॉर्डर फोर्स ने उसे पकड़ लिया था . जानकारी मिलने के बाद दलजीत कौर ने अपने भाई को बचाने के लिए काफी प्रयास किया. जिसके बाद विदेश ही नहीं पाकिस्तान की सिविल सोसाइटी से भी समर्थन मिला
भटक कर आया नागरिक
30 अगस्त 1990 को वो आनजाने में पाकिस्तान की सीमा में पहुंच गए थे. जिसके बाद पाकिस्तान आर्मी ने उनको गिरफ्तार कर लिया. सरबजीत को लौहोर में हुए बम धमाके का आरोपी बताकर उनको जेल में बंद रखा. बम हमले में 14 लोगों की जान गई थी. लेकिन पुलिस की तरफ से उनकी गिरफ्तारी 30 अगस्त को हुई थी. लेकिन कोर्ट में लिखित बयान दर्ज में 29 अगस्त को सरहद पार आया था.
5 सितंबर 1990
पुलिस अधिकारियों को भारतीय नागरिक के पकड़े जाने की सूचना मिली. पाकिस्तान आर्मी ने उनको गिरफ्तार कर लिया. सरबजीत को लौहोर में हुए बम धमाके का आरोपी बताकर उनको जेल में बंद रखा. बम हमले में 14 लोगों की जान गई थी.भारत का जासूस होने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया
मौत की सजा
सरबजीत को मौत की सजा पाकिस्तान के आर्मी एक्ट के तहत सुनाई गई. अदालत ने सजा सुनाने से पहले उसकी पहचान तक पुष्ट तक नहीं कराई. दर्ज हुई एफआईआर सरबजीत का नाम तक नहीं था. उसे मंजीत सिंह के नाम से ही सजा सुनाई गई. मुख्य गवाह बनाए गए शौकत सलीम ने सरबजीत के खिलाफ केस को झूठा बताया. उसने अपने पहले के बयान कि बम प्लांट करने वाले लोगों में सरबजीत था, पुलिस के दबाव में दिया गया बयान बताया. सलीम के पिता और रिश्तेदार इन धमाकों में मारे गए थे.
सरबजीत की ओर से राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को एक बार फिर से सजा के खिलाफ दया याचिका भेजी गई. दुनिया भर में सरबजीत के समर्थन में चल रहे अभियानों को देखते हुए उसकी रिहाई की उम्मीद बंधने लगी
सरबजीत की हत्या
सरबजीत सिंह पर लौहोर की कोट लखपत जेल में कैदियों ने हमला कर दिया था. पाकिस्तान ने उनको ब्रेन डेड घोषित कर दिया था. पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में अमीर सरफराज ने सरबजीत की पॉलीथिन से गला घोंटकर और पीट- पीट कर हत्या कर दी थी .पंजाब के सरबजीत को पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में पाकिस्तानी सेना ने पकड़ा था.