Teachers Day 2023: प्रत्येक व्यक्ति और पूरे समाज के भविष्य को आकार देने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है. शिक्षक दिवस छात्रों और समुदाय को शिक्षकों की कड़ी मेहनत, समर्पण और उनके जीवन पर प्रभाव को पहचानने और आभार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है. भारत हर साल 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है, इस दिन उनके योगदान और उपलब्धियों के लिए उनको श्रद्धांजलि दी जाती है.
कौन थे सर्वपल्ली राधाकृष्णन?
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन मैसूर विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर थे. इसके साथ ही वो आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे. राधाकृष्णन एक ऐसे शिक्षक रहे हैं जिनको छात्र और शिक्षक दोनों ही पसंद करते थे. इसी लिए उनका जन्मदिन पूरे भारत में शिक्षक और छात्र के बीच सम्मान और प्यार के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक के रूप में मनाया जाता है.
राधाकृष्णन की शिक्षा पूरी तरह से छात्रवृत्ति से हुई थी. उन्होने 1917 में पुस्तक 'द फिलॉसफी ऑफ रवीन्द्रनाथ टैगोर' लिखी थी. राधाकृष्णन ने मदन मोहन मालवीय के बाद आंध्र विश्वविद्यालय (1931-1936) और 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में कुलपति का पद संभाला.
शिक्षक दिवस की कैसे हुई शुरुआत?
सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1962 में जब भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे, उस वक्त उनके छात्रों ने 5 सितंबर को उनका जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया. राधाकृष्णन जन्मदिन मनाने के लिए तो मान गए. लेकिन उन्होंने शिक्षकों की भूमिका पर जोर देते हुए इस दिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाने की बात रखी. तभी से
हमारे जीवन में शिक्षकों के महत्व को और समाज में उनके योगदान के लिए शिक्षक दिवस देश भर में मनाया जाता है.
अध्यापकों को दिया जाता है सम्मान
शिक्षक दिवस को आमतौर पर स्कूल कॉलेजों में एक त्योहार की तरह मनाया जाता है. इस दिन स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं जो शिक्षकों के सम्मान में किए जाते हैं.
शिक्षा मंत्रालय 5 सितंबर को विज्ञान भवन में एक वार्षिक प्रोग्रम आयोजित करता है, जिसमें देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को पुरस्कार दिए जाते हैं. ये पुरस्कार तीन चरणों वाली एक ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के ज़रिए दिए जाते हैं. First Updated : Monday, 04 September 2023