कॉमनवेल्थ गेम्स 2022: कौन हैं लॉन बॉल्स में पहला गोल्ड जिताने वाली महिलाऐं

कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला टीम ने लॉन बॉल्स फोर्स स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। भारतीय टीम पहली बार इस स्पर्धा में पदक जीतने में सफल हुई है। हालांकि इससे पहले भी तीन बार भारत कॉमनवेल्थ गेम्स के इस इवेंट में हिस्सा ले चुका है, लेकिन हर बार पदक की झोली खाली ही

 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय महिला टीम ने लॉन बॉल्स फोर्स स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। भारतीय टीम पहली बार इस स्पर्धा में पदक जीतने में सफल हुई है। हालांकि इससे पहले भी तीन बार भारत कॉमनवेल्थ गेम्स के इस इवेंट में हिस्सा ले चुका है, लेकिन हर बार पदक की झोली खाली ही रही। टीम ने 92 साल के राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार इस खेल में पदक जीता है। भारतीय महिला टीम ने फाइनल मुकाबले में दक्षिण अफ्रीका को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। लॉन बॉल में भारतीय दल की सबसे उम्रदराज महिलाएं शामिल थीं, लेकिन चारों महिलाओं ने उम्र को पीछे छोड़ते हुए सीधे सोने का तमगा हासिल किया। भारतीय महिला टीम ने सेमीफइनल में न्यूजीलैंड को हराया, इसके बाद फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 17-10 से हराकर ऐतिहासिक स्वर्ण पदक अपने नाम किया। 

 

लॉन बॉल्स गेम्स में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली इन स्टार खिलाड़ियों से अब तक अधिकांश लोग अनजान हैं। ऐसे में आइये इन महिला खिलाड़ियों को थोड़ा और करीब से जानते हैं। 

1- लवली चौबे: 42 साल की लवली चौबे झारखंड पुलिस में अफसर हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक धावक के तौर पर की थी, लेकिन चोट के चलते बाद में उन्होंने लॉन बॉल्स को अपने करियर के तौर पर चुना। साल 2014 में उन्होंने चार खिलाड़ियों वाले इस खेल में डेब्यू किया था, और गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में पांचवें स्थान पर रही थीं। राष्ट्रीय स्तर पर उन्होनें साल 2008 में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इसके अलावा वे महिला सिंगल टूर्नामेंट में भी सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।

2- नयन मोनी सकिया: मूलरूप से असम की रहने वाली नयन मोनी राज्य के वन विभाग में अधिकारी हैं। सकिया ने भी 2008 में लॉन बॉल्स को अपने करियर के तौर पर चुना और साल 2011 के रांची नेशनल गेम्स में दो गोल्ड मेडल अपने नाम किये। 2017 की एशियन चैम्पियनशिप में भी उन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते थे।

3- पिंकी: दिल्ली की रहने वाली पिंकी राजधानी के ही एक स्कूल में फ़िजिकल एजुकेशन की टीचर हैं। साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले उनके स्कूल में लॉन बॉल्स टूर्नामेंट के लिए प्रैक्टिस वेन्यू तैयार किया गया था, यहीं से उनके मन में इस खेल के प्रति प्यार पैदा हुआ। साल 2014 और 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान वो इस टूर्नामेंट में भाग ले चुकीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल इनके नाम हैं।

4-रूपा रानी: इन्होंने साल 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा लिया था, इनकी टीम उस वक़्त चौथे स्थान पर रही थी। इसके बाद वे प्रत्येक कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा रही हैं। रूपा ने साल दर साल अपने खेल में सुधार करते हुए आखिरकार गोल्ड पर कब्ज़ा जमा ही लिया। 

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03 August 2022, 02:10 PM IST

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