Lawn Bowls Games: पहली बार आ रहा है मेडल, जानिए क्या है यह खेल, कैसा रहा इसका इतिहास
ऐसा माना जाता है कि इस खेल की शुरुआत 12वीं शताब्दी में हुई थी। इसे सबसे पहले इंग्लैंड में खेले जाने के प्रमाण मिले हैं।
भारत में कम ही लोग होंगे जिन्होंने लॉन बॉल्स के बारे में पढ़ा या सुना होगा। इस खेल के नियम-कायदे जानने वालों की संख्या और भी कम हो सकती है और फिर इसे खेलने वाले तो निश्चित तौर पर बहुत ही कम हैं। बहरहाल, हम इस खेल की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अब यह खेल भारत में अंजान नहीं रहने वाला है। संभव है कि भारत में जल्द ही इस खेल को जानने, समझने और खेलने वालों की तादाद बढ़ जाएगी। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि लॉन बॉल्स के इतिहास में पहली बार भारतीय टीम किसी बड़े टूर्नामेंट में पदक लाने जा रही है।
सोमवार के दिन भारत की महिला लॉन बॉल्स टीम ने सेमीफाइनल मैच में न्यूजीलैंड को हराकर फाइनल में जगह बनाई और कम से कम सिल्वर मेडल पक्का कर लिया। आज (2 अगस्त) इस स्पर्धा का फाइनल मुकाबला है और संभव है कि भारत इसमें गोल्ड भी जीत ले।
क्या है लॉन बॉल्स गेम
इस गेम को खेलने के लिए जो सबसे जरूरी है वो है गेंद, यह एक आउटडोर खेल होता है जैसा कि नाम से जाहिर है कि, यह गेम घास के मैदान (Lawn) में खेला जाता है और इसमें खिलाड़ी बॉल को रोल करते हैं। इस खेल में सिंगल्स या टीम इवेंट होते है, सिंगल्स में दो खिलाड़ी आमने सामने होते हैं, वहीं टीम इवेंट में दो, तीन या चार खिलाड़ियों की टीम बनाई जाती है, जो दूसरी टीम से भिड़ती है। सबसे पहले टॉस होता है और फिर टॉस जीतने वाले खिलाड़ी या टीम को जैक बॉल (पीला बॉल) को रोल करने का मौका मिलता है। जैक बॉल को आप टारगेट कह सकते हैं।
जब टॉस जीतने वाले खिलाड़ी या टीम मेंबर इसे घास के मैदान के एक एंड से दूसरे एंड पर रोल करते हैं तो यह जहाँ रुक जाता है वही खिलाड़ियों का टारगेट बन जाता है। यानी खिलाड़ियों को अब इसी टारगेट के सबसे करीब अपनी बॉल्स रोल करके पहुंचानी होती है।
सिंगल हो या टीम इवेंट खिलाड़ी एक-एक करके अपनी-अपनी थ्रोइंग बॉल को जैक बॉल के पास पहुंचाने की कोशिश करते हैं। थ्रोइंग बॉल जितनी ज्यादा जैक बॉल के करीब पहुंचती है उतने ज्यादा पॉइंट्स मिलते हैं। सिंगल्स और टीम इवेंट में हर खिलाड़ी को हर एंड से बॉल थ्रो करने के बराबर मौके मिलते हैं, जो ज्यादा स्कोर करता है, उसे ही विजेता घोषित किया जाता है।
क्या है इस खेल का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि इस खेल की शुरुआत 12वीं शताब्दी में हुई थी। इसे सबसे पहले इंग्लैंड में खेले जाने के प्रमाण मिले हैं। 18वीं शताब्दी में इस खेल से जुड़े नियम बने और हर दशक के साथ इनमें बदलाव आता गया। कॉमनवेल्थ गेम्स के पहले संस्करण से लेकर अब तक यह लगातार शामिल किया जाता रहा है, केवल 1966 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में इसे शामिल नहीं किया गया था। ओलंपिक में यह खेल आज तक शामिल नहीं किया गया है। भारत में भी यह खेल कई दशकों से खेला जा रहा है लेकिन 2010 से इस खेल को ज्यादा तवज्जो मिलने लगी।