गांगुली की BCCI अध्यक्ष पद से छुट्टी पर राजनीतिक पार्टियों की एंट्री

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के हाथ से अब बीसीसीआई अध्यक्ष पद जाने वाला है। लेकिन गांगुली ऐसा कभी नही चाहते थे कि उनको अध्यक्ष पद से हटाया जाए।

Vishal Rana
Edited By: Vishal Rana

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के हाथ से अब बीसीसीआई अध्यक्ष पद जाने वाला है। लेकिन गांगुली ऐसा कभी नही चाहते थे कि उनको अध्यक्ष पद से हटाया जाए। दादा एक बार फिर से तीन साल के लिए बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर बने रहना चाहते थे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। गांगुली के लोग ही अब उनको अब अध्यक्ष पद से हटाना चाहते हैं, जिसका सिलसिला शुरू हो गया है। बता दे, मंगलवार को बीसीसीआई हेड क्वार्टर मुंबई में एक मीटिंग हुई। इस मीटिंग में क्रिकेट संघ के बड़े अधिकारियों ने सिरकत की।

इस मीटिंग में बीसीसीआई के नए अध्यक्ष के नाम का प्रस्ताव रखना था और इसको लेकर बीसीसीआई का एक नियम है कि पुराना अध्यक्ष ही नए अध्यक्ष का नाम प्रस्तावित करता है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि, गांगुली इसको लेकर राजी नहीं थे। वे चाहते थे कि एक बार फिर से उनको ही बीसीसीआई का अध्यक्ष बनाया जाए। लेकिन गांगुली की यह बात क्रिकेट संघ के अधिकारियों को रास न आई और किसी ने उनका सपोर्ट नहीं किया।

गांगुली को आईपीएल चैयरमैन पद भी किया गया ऑफर

हालांकि गांगुली को अध्यक्ष पद से हटाने के बाद आईपीएल चैयरमैन पद ऑफर किया गया लेकिन सौरव गांगुली अपना डिमोशन बिल्कुल बर्दाश्त नही कर सकते हैं। जो व्यक्ति पिछले तीन साल से बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर मौजूद है तो वह फिर आईपीएल चैयरमैन पद को कैसे ले सकता है और वो भी सौरव गांगुली जैसा स्वाभिमानी व्यक्ति। गांगुली ने स्पष्ट कहा कि, मै बीसीसीआई की किसी उपसमिति का अध्यक्ष नहीं बन सकता। इस मामले में बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने एंट्री ली और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। टीएमसी का कहना है कि जब भाजपा सौरव गांगुली को अपनी पार्टी में शामिल करने में नाकाम रही तो उन्होंने गांगुली को बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटा दिया।

भाजपा पर हमला करते हुए टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि, भाजपा ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के बीच यह संदेश फैलाने की कोशिश की थी कि राज्य में बेहद लोकप्रिय गांगुली पार्टी में शामिल होंगे। टीएमसी ने यह भी दावा किया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है। जब गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह दूसरे कार्यकाल के लिए बीसीसीआई के सचिव पद पर बने रह सकते हैं तो गांगुली क्यों नहीं। वहीं इसको लेकर टीएमसी पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता दिलीप घोष ने कहा कि, खेल पर टीएमसी राजनीति ना करे।

सौरव गांगुली बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के काफी करीबी माने जाते हैं। इतना ही नही सौरव गांगुली का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी अच्छे संबंध हैं। ऐसे में अब ये देखना होगा कि, बीसीसीआई से निकलकर दादा किस पार्टी की ओर से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करते हैं अथवा नहीं।

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12 October 2022, 06:12 PM IST

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