Dipa Karmakar Retired: भारत की पहली महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर ने सोमवार, 7 अक्टूबर को खेल से संन्यास लेने की घोषणा की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश में कहा कि वे भविष्य में कोच या मेंटर की भूमिका निभाने पर विचार कर रही हैं. उनके द्वारा यह फैसला पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल होने के एक महीने बाद लिया गया है. इस बीच 31 वर्षीय दीपा ने बताया, 'काफी सोच-विचार के बाद मैंने जिमनास्टिक्स छोड़ने का फैसला किया. यह मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन मुझे लगता है कि अब सही समय है. जिमनास्टिक्स मेरे जीवन का एक बड़ा हिस्सा रहा है, और मैं इसके हर पल के लिए आभारी हूं.'
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बीच दीपा ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा, 'मुझे पांच साल की उम्र की वह दीपा याद है, जिसे बताया गया था कि उसके सपाट पैर के कारण वह जिमनास्ट नहीं बन सकती. आज, मुझे अपनी उपलब्धियों पर गर्व है, जैसे रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट करना.'
इस दौरान उन्होंने ताशकंद में एशियाई जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप में अपनी जीत को एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया. दीपा ने कहा कि कभी-कभी हमारे शरीर को आराम की जरूरत होती है, भले ही दिल इससे सहमत न हो.
दीपा करमाकर सिर्फ़ खेलों में भाग लेने से ही खुश नहीं थीं. अपने पहले ओलंपिक में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की. रियो में दीपा ने बेहद चुनौतीपूर्ण प्रोडुनोवा वॉल्ट किया, जो जिमनास्टिक में सबसे खतरनाक वॉल्ट में से एक है, और वॉल्ट फाइनल में 15.066 के कुल स्कोर के साथ चौथे स्थान पर रहीं. यह प्रदर्शन कांस्य पदक से सिर्फ़ 0.15 अंक पीछे था, और पूरा देश इस ऐतिहासिक प्रदर्शन पर आश्चर्यचकित होकर सांस रोके हुए था.
दीपा को 2016 में खेल रत्न और 2017 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उन्होंने युवाओं को इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया.
ओलंपिक में अपनी शुरुआत से पहले, दीपा करमाकर ने कई प्रमुख प्रतियोगिताओं में अपने कौशल का प्रदर्शन किया. 2014 में, उन्होंने ग्लासगो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के वॉल्ट फाइनल में कांस्य पदक जीतकर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया, और वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. इसके बाद, 2015 में उन्होंने हिरोशिमा में एशियाई चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता. इसी साल, विश्व कलात्मक जिम्नास्टिक चैम्पियनशिप में उन्होंने पांचवां स्थान हासिल किया, जो किसी भारतीय जिमनास्ट के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी.
हाल के वर्षों में, दीपा करमाकर ने कई कठिनाइयों का सामना किया, जिसमें चोटें और डोपिंग निलंबन शामिल हैं. उन्हें घुटने की दो सर्जरी करानी पड़ी और प्रतिबंधित पदार्थ के लिए सकारात्मक परीक्षण के चलते राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने उन्हें 21 महीने के लिए निलंबित किया. हालांकि इन मुश्किलों के बावजूद, दीपा ने शानदार वापसी की. मई 2024 में, उन्होंने ताशकंद में महिलाओं की वॉल्ट प्रतियोगिता में 13.566 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक जीतकर एक नई उपलब्धि हासिल की और इस तरह वह एशियाई सीनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं.
दीपा करमाकर ने अपने कोच बिश्वेश्वर नंदी और सोमा मैम का धन्यवाद किया, जिन्होंने पिछले 25 वर्षों में उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें उनकी ताकत बनने में मदद की. उन्होंने त्रिपुरा सरकार, जिमनास्टिक फेडरेशन, भारतीय खेल प्राधिकरण, गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन और मेराकी स्पोर्ट एंड एंटरटेनमेंट के समर्थन के लिए भी आभार व्यक्त किया. अंत में, उन्होंने अपने परिवार का शुक्रिया अदा किया, जो हमेशा उनके साथ खड़ा रहा.
दीपा ने कहा, 'हालांकि मैं रिटायर हो रही हूं, लेकिन जिमनास्टिक्स से मेरा रिश्ता कभी खत्म नहीं होगा. मैं इस खेल को वापस देने का प्रयास करूंगी, शायद सलाह देकर, कोचिंग देकर या नई जिमनास्ट्स का समर्थन करके.' First Updated : Monday, 07 October 2024