World Cup 2023: विश्व कप 2023 का अहमदाबाद में फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिा से भिड़ने वाली है, इस सफर में कप्तान रोहित शर्मा की अहम भूमिका रही है. हिटमैन के क्रिकेट सफर की बात करें तो उन्होंने काफी स्ट्रगल किया है. एक समय ऐसा भी आया जब उनके क्रिकेट करियर सवालिया निशान खड़ा हो गया था. क्योंकि उनके करियर में सबसे बड़ी रुकावट आर्थिक तंगी थी, जो उस वक्त ज्यादातर खिलाड़ियों के सामने खड़ी होती थी.आईए जानते उनके क्रिकेट करियर के उन तमाम संघर्षों के बारे में जो उन्होंने पार कर भारतीय कप्तान तक सफर तय किया.
बात साल 1999 की है जब पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अज़हरुद्दीन की कप्तानी में भारतीय इंग्लैंड में विश्व कप खेल रही थी. दूसरी ओर 12 साल के रोहित शर्मा को मुंबई के बोरिवली में उनके पिता और परिवारजन पैसा इकट्ठा करके क्रिकेट एकडेमी में भेजने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन उस समय उनके पिता एक ट्रांसपोर्ट फ़र्म वेयरहाउस में काम करते थे, उस दौरान उनकी महीने की कमाई इतनी नहीं थी कि वह अपने बच्चे को क्रिकेट अकादमी जॉइन करवा सकें.
साल 1999 में ही रोहित शर्मा बोरिवली के स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के खिलाफ मैच खेला था, इसी मैच में भारतीय कप्तान की किस्मत को बदल दिया था. जिस समय हिटमैन क्रिकेट खेल रहे थे उस दौरान उस स्कूल के कोच रमेश लाड ने उनके खेल को देखकर स्कूल के मालिक योगेश पटेल से उन्हें खेलने के लिए स्कॉलरशिप की गुजारिश की थी. योगेश नाम के एक शख्स की मानें तो, हमारे कोच ने कहा था कि इस लड़के में क्रिकेट प्रति काफी जिज्ञासा है, लेकिन इसका परिवार हमारे स्कूल की 275 रुपये की फीस नहीं भर सकता है, इसलिए बच्चे को आर्थिक मदद के लिए स्कॉलरशिप दे दी जाए ताकि इसका पूरा ध्यान क्रिकेट पर ही रहे.
उन्होंन कहा आज रोहित शर्मा को देखकर हमें खुशी है कि हमने वो फैसला सही लिया था. रोहित शर्मा आज भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे तो हमें आज बहुत खुशी हो रही है. इस फैसले के बाद खुद रोहित शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि कोच चाहते थे कि मैं विवेकानंद स्कूल एडमिशन लेकर क्रिकेट खेलना जारी रखूं. लेकिन मेरे पास उस वक्त पैसे नहीं थे. फिर उसके बाद उन्होंने मुझे स्कॉलरशिप दिला दी जिसके मुझे चार साल तक क्रिकेट साथ पढ़ाई फ्री मिलने लगी. इस नए स्कूल में भर्ती होने के बाद रोहित शर्मा ने 140 रनों की शानदार पारी खेली. जिसके बाद उनकी चर्चा चारों तरफ होने लगी थी. मानो इस मैच में उनकी किस्मत बदल गई थी.
भारतीय टीम के कप्तान पर अशोक शिवलकर ने कहा कि मुझे आज भी याद है कि पहले स्कूल की तरफ से स्पिन गेंदबाजी करते थे, लेकिन उसके बाद उनको कोच रोहित के बैटिंग के हुनर को पहचान लिया. इसके बाद ही हिटमैन मुंबई के मशहूर कांगा लीग क्रिकेट से लेकर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन में बल्लेबाज में अपना जलवा बिखेर दिया. इन सब समस्याओं से पार करते हुए रोहित ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में साल 2007 में कदम रखा और आज वह विश्व कप 2023 में भारतीय टीम की कप्तानी कर रहे हैं. उन्हीं के नेतृत्व में टीम इंडिया आज विश्व कप फाइनल का सफर कर चुके हैं. अब देखना है कि कल यानी 19 नवंबर को भारतीय टीम किस अंदाज में खेलते हुए 12 साल का सूखा खत्म करेगी. First Updated : Saturday, 18 November 2023