BCCI: विश्व कप 2023 के फाइनल मुकाबले को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इन दिनों काफी विवादों में घिरा हुआ है. दरअसल, पाकिस्तान क्रिकेट टीम ने BCCI पर पिच को लेकर सवाल उठाया है तो वहीं भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव भी फाइनल मुकाबले में नहीं बुलाने को लेकर सवाल उठाए हैं.
यहां तक की श्रीलंका टीम के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने BCCI के सचिव पर श्रीलंका बोर्ड को बर्बाद करने का गंभीर आरोप लगाया है. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब BCCI के ऊपर ऐसे सवाल उठाए गए हैं. बल्कि इससे पहले भी कई बार विवादों में घिर चुका है.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इन दिनों विश्व कप 2023 के फाइनल मुकाबले को लेकर विवादों में घिरा हुआ है. दरअसल, अहमदाबाद स्टेडियम की पिच खराब होने की वजह से भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया खिलाफ वर्ल्ड कप का मुकाबला जीत नहीं पाई. इसी वजह से BCCI विवादों में घिरा हुआ है. हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब BCCI के कार्यशैली पर सवाल उठाये जा रहे हैं. बल्कि इससे पहले यानी साल 2005 के बाद से कम से कम 3 बड़े मौके पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल के कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए गए हैं.
हाल ही में विश्व कप के स्टेडियम चयन को लेकर BCCI के कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोगों ने BCCI को जमकर लताड़ा है. लोगों ने BCCI पर आरोप लगाया है कि, सभी बड़े मैच गुजरात के अहमदाबाद स्टेडियम में ही क्यों कराए गए. विश्व कप 2023 में भारत को हार मिलने पर राजनीतिक गलियारों में भी अहमदाबाद स्टेडियम को पनौती बताया जा रहा.
दरअसल, आईपीएल मैच के दौरान फिक्सिंग के आरोप ने BCCI के साख पर बट्टा लगा दिया. उस दौरान फिक्सिंग की जांच करने वाले जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने आईपीएल की 2 टीमों को सस्पेंड कर दिया था. इतना ही नहीं उस वक्त कई खिलाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी. इसके अलावा साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के तत्कालीन अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के की कुर्सी पर हथौड़ा तक चला दिया था. इन दोनों पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप था. भारत के इतिहास में यह पहला मौका था जब BCCI के अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट ने पद से निष्कासित कर दिया था.
साल 1927 में भारत में क्रिकेट से ब्रिटिश आधिपत्य को हटाने के लिए नई दिल्ली के एक क्लब में संयुक्त बोर्ड बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया. उस दौरान 8 प्रदेशों की क्रिकेट इकाई ने इस प्रस्ताव पर अपना समर्थन दिया. जिसके बाद साल 128-29 के दौरान इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल से इस प्रस्ताव को मान्यता मिली.
BCCI का मूल कार्य भारत में क्रिकेट की गुणवत्ता और मानक को बढ़ाने के लिए नीति निर्धारण करना है. BCCI का अपना संविधान है जिसके तहत फैसला लिया जाता है. वहीं इसके संचालन के लिए मूल संगठन में 5 बड़े पद बनाए गए जो अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव है.
भारत में BCCI का सबसे जरूरी काम घरेलू क्रिकेट को बढ़ावा देना है और उसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के पैमाने पर खड़ा करने के लिए टीम की गुणवत्ता को सेट करना है. BCCI का नीति निर्धारण इसी संदर्भ में होता है. अंतरराष्ट्रीय मैचों में BCCI मुख्य भूमिका निभाती है. सिलेक्शन से लेकर कोच, मैनेजमेंट आदि सबी का इंतजाम BCCI के संदर्भ में होता है.
वहीं अगर अंतरराष्ट्रीय मैच का आयोजन भारत में होता है तो BCCI की भूमिका की अहमियत दोगुना बढ़ जाती है. इस दौरान स्टेडियम का चयन भी BCCI करता है. सिलेक्शन से जुड़े कोई भी बड़े फैसले BCCI के एजीएम बैठक में लिया जाता है. गौरतलब है कि ये बैठक पूरी तरह से गोपनीय तरीके से होता है लेकिन इस मीटिंग के कई फैसलों पर हमेशा सवाल उठते रहा है.
BCCI यानी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड एक स्वायत संस्था है जिसमें प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार में सरकार का हस्तक्षेप न के बराबर होता है. BCCI की जनरल बॉडी और एपेक्स काउंसिल ही सारे बड़े फैसले लेती है. हर साल BCCI अपने वेबसाइट पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट को अपलोड करती है. खेल मंत्रालय ने BCCI को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत भी रखा है.
बता दें कि, बीसीसीआई के 5 बड़े पदों का चुनाव उसके प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के सदस्यों द्वारा किया जाता है. संविधान के नियम के मुताबिक एक शख्स केवल 3 बार ही एक पद पर रह सकते हैं. वहीं BCCI पर कार्रवाई करने का मूल अधिकार इंटरनेशनल काउंसिल यानी ICC के पास है. अगर BCCI किसी भी नियम का उल्लंघन करता है तो इंटरनेशनल काउंसिल उसपर कार्रवाई कर सकती है.
हमेशा किसी न किसी वजह से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड सवालों के घेरे में आ जाता है लेकिन ऐसा होता क्यों चलिए समझते हैं.
वरिष्ठ खेल पत्रकार राजेंद्र साजवान ने बताया कि, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अभी तक राजनीतिक प्रभाव से बाहर नहीं निकल पाया है. उन्होंने कहा कि, बोर्ड पर हमेशा किसी न किसी राजनीतिक पार्टी का दबदबा रहता ही है जिसके वजह से हमेशा BCCI के कार्यशैली पर सवाल उठते हैं.
वरिष्ठ खेल पत्रकार राजेंद्र साजवान ने कहा कि, बोर्ड के अंदर गोपनीयता के नाम पर तानाशाही और अपारदर्शी व्यवस्था का इतिहास काफी पुराना है. उन्होने बताया कि, जब बोर्ड पर सवाल उठते हैं तो बोर्ड के तरफ से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है. यहां तक की कोई भी पदाधिकारी बात करने को राजी नहीं होता है इसलिए भी BCCI के कार्यशैली पर सवाल उठते हैं. First Updated : Tuesday, 21 November 2023