IND vs WI: भारतीय टीम के नए एक्सपेरिमेंट पर प्रज्ञान ओझा का बड़ा बयान, बोले- 'आप हर मैच में नए खिलाड़ियों को नहीं परख सकते'
IND vs WI: वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे और तीसरे एकदिवसीय मुकाबले में भारत ने नए एक्सपेरिमेंट किए. टीम में नए युवा बल्लेबाजों और युवा गेंदबाजों को शामिल किया गया.
IND vs WI, Pragyan Ojha on Team India New Experiments: वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे और तीसरे एकदिवसीय मुकाबले में भारत ने नए एक्सपेरिमेंट किए. टीम में नए युवा बल्लेबाजों और युवा गेंदबाजों को शामिल किया गया. टीम दूसरे मुकाबले में नाकाम रही और आखिरी व निर्णायक मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की. वहीं पूर्व भारतीय क्रिकेटर और जिओ सिनेमा एक्सपर्ट प्रज्ञान ओझा से टीम में हो रहे बदलाव को लेकर बातचीत की गई. प्रज्ञान ने विश्व कप से पहले टीम के इन एक्सपेरिमेंट को सही ठहराया है.
बेबुनियाद हैं ये एक्सपेरिमेंट -
ये एक्सपेरिमेंट बेबुनियाद क्यों साबित हो रहे हैं, क्योंकि हर खिलाड़ी को मुकाबला खेलने का मौका नहीं मिलता? नंबर तीन पर अक्षर पटेल बल्लेबाजी करने के लिए आए और युजवेंद्र चहल को खेलने का मौका नहीं दिया गया. प्रज्ञान ओझा ने कहा कि, "एक समय पर हमें ये बात समझनी पड़ेगी कि जब हम अपने युवा खिलाड़ियों को परखने के लिए कोई स्थिति पैदा करते हैं तो वास्तव में आप सभी खिलाड़ियों को परख नहीं सकते हैं, जो सीमित मौके आपको मिल रहे हैं उसी में आपको अपने खिलाड़ियों को परखना है."
नए खिलाड़ी हर मुकाबले में नहीं हो सकते-
पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने आगे कहा कि, "अगर आपको तीन एकदिवसीय मुकाबलों की सीरीज मिली है तो आप हर मैच में अलग-अलग खिलाड़ियों को परख नहीं सकते है. अगर आप अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ी को नंबर 4 पर बल्लेबाजी करने भेज रहे हैं या आप उनकी गेंदबाजी को परख रहे हैं तो आपको उन्हें कम से कम तीन से चार मुकाबलों में शामिल करना होगा."
कम होगा खिलाड़ियों का आत्मविश्वास -
साथ ही उन्होंने कहा कि, "ऐसे में हर आप हर मुकाबले में अलग-अलग खिलाड़ियों को मौका देंगे तो इससे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास भी कम होगा और वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे. ऐसे में जब आप टीम में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहे होते हैं तो ऐसा अक्सर होता है कि कुछ खिलाड़ियों को ज्यादा मौका मिलता है और कुछ खिलाड़ी को सीमित मौके मिलते हैं.
साथ ही आपको यह ख्याल भी रखना होगा कि खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति पर कोई बुरा प्रभाव न डाले, जिससे वो असुरक्षित महसूस करें और उन्हें लगे कि अगर मैंने इस मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो मुझे दोबारा मौका नहीं मिलेगा. मैनेजमेंट को इस बात का ख्याल भी रखना होगा."