Irfan Pathan: गाजा पीड़ितों के समर्थन में उतरे इरफान पठान, बोले- 'वहां रोजाना बच्चे मर रहे और दुनिया शांत...'
Irfan Pathan: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर इरफान पठान गाजा के समर्थन में उतरे हैं और वहां पर मर रहे मासूम बच्चों के लिए आवाज उठाई है.
Irfan Pathan on Gaza Victims: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर इरफान पठान गाजा के समर्थन में उतरे हैं और वहां पर मर रहे मासूम बच्चों के लिए आवाज उठाई है. भारत की पूर्व टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के बाद अब इरफान पठान ने भी गाजा के पीड़ित लोगों को लेकर एक मैसेज दिया है.
पूर्व भारतीय दिग्गज ने अपने पोस्ट में लिखा कि, "गाजा में हर रोज 0-10 साल के उम्र वाले मासूम बच्चे मर रहे हैं, और दुनिया शांत बैठी है. एक खिलाड़ी होने के नाते, मैं सिर्फ आवाज उठा सकता हूं. लेकिन अब वक्त आ गया है कि दुनिया के नेताओं को एक साथ आकर इस संवेदनहीन हत्या को खत्म करना चाहिए."
Every day, innocent kids aged 0-10 in Gaza are losing lives and the world remains silent. As a sportsman, I can only speak out, but it's high time for world leaders to unite and put an end to this senseless killing. @UN #StopTheViolence #GazaChildren
— Irfan Pathan (@IrfanPathan) November 3, 2023
इससे पहले सानिया मिर्जा ने कहा था -
गौरतलब हो कि तकरीबन एक महीने पहले फिलिस्तीन में मौजूद एक आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर अचानक 5000 रॉकेट दाग दिए थे. इस हमले से इजराइल में कई लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद इजराइल ने भी बदला लेना शुरू किया.
इजराइल ने हमास के साथ-साथ पूरी फिलिस्तीन को टारगेट में लिया. इजराइल के इस बदले से सबसे ज्यादा हानि इजराइल से लगे हुए क्षेत्र गाजा में हुई. गाजा में लाखों लोग बेघर हुए, कई लोग मारे गए, इसमें छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं.
वहां रहने वाले आम लोगों का जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया. यहां तक कि अस्पताल पर भी हमले कराए गए. पिछले लगभग एक महीने से जारी इस नरसंहार के खिलाफ इरफान पठान से पहले सानिया मिर्जा ने भी आवाज उठाई थी.
सानिया ने कहा था कि, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किसके पक्ष में सोच रहे हैं, आपके राजनैतिक विचार कैसे हैं, आप न्यूज में क्या सुन रहे हैं. लेकिन क्या हम सब कम से कम 20 लाख से भी ज्यादा आबादी वाले शहर के निर्दोष लोगों के लिए बंद किए गए खाना, पानी और बिजली पर भी सहमत हो सकते हैं."
उन्होंने आगे कहा कि, "ये वे लोग हैं, जिनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है. बमबारी के दौरान कहीं छुपने का कोई ठिकाना नहीं है, उनकी आबादी में आधे से ज्यादा संख्या बच्चों की है. क्या यह मानवीय संकट कुछ भी बोलने के लायक नहीं है?"