जॉस बटलर का आरोप, पुणे में कनकशन सब्सटीट्यूट से इंग्लैंड को हुआ नुकसान

IND VS ENG: पुणे टी20 में भारत 15 रनों से जीत गया. इस जीत के साथ ही सीरीज में उसे 3-1 की अजेय बढ़त हासिल हो गई. वैसे इंग्लैंड की हार के बाद कनकशन सब्सटीट्यूट को लेकर एक बड़ा बवाल हो गया है.आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला?

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

Concussion substitute Controversy: इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने पुणे में टी20 मैच जीत लिया और इसके साथ ही सीरीज भी अपने नाम कर ली. लेकिन इस जीत के बाद पुणे में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. यह विवाद कनकशन सब्सटीट्यूट (चोट के बाद बदले गए खिलाड़ी) को लेकर हुआ. इंग्लैंड के कप्तान जॉस बटलर ने इस पर बड़ी बात कही और मैच रेफरी के फैसले पर सवाल उठाए.

जॉस बटलर ने उठाए कनकशन सब्सटीट्यूट पर सवाल

पुणे टी20 में हार के बाद इंग्लैंड के कप्तान जॉस बटलर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए और उन्होंने कनकशन सब्सटीट्यूट के फैसले पर सवाल उठाए. बटलर के मुताबिक, मैच रेफरी का फैसला सही नहीं था. दरअसल, भारतीय पारी के आखिरी ओवर में शिवम दुबे के हेलमेट पर गेंद लगी थी. इसके बाद वह मैदान से बाहर गए और चक्कर आने की शिकायत की. फिर टीम इंडिया ने उनके बदले हर्षित राणा को मैदान पर उतारा. मैच रेफरी ने इसकी मंजूरी दी थी.

हर्षित राणा पर विवाद क्यों?

अब सवाल यह है कि हर्षित राणा को कनकशन सब्सटीट्यूट के तौर पर क्यों उतारा गया? दरअसल, कनकशन सब्सटीट्यूट के नियम के मुताबिक, जिस खिलाड़ी को चोट लगी हो, टीम उसी जैसे खिलाड़ी को बदलने के लिए ला सकती है. लेकिन शिवम दुबे बैटिंग ऑलराउंडर हैं, जबकि हर्षित राणा एक बॉलिंग ऑलराउंडर हैं. दोनों की गेंदबाजी में फर्क है, इसलिए इंग्लैंड के कप्तान ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं.

हर्षित राणा बने इंग्लैंड की हार की वजह

दिलचस्प बात यह है कि हर्षित राणा इंग्लैंड की हार के लिए जिम्मेदार बन गए. राणा ने अपने पहले ही ओवर में लियम लिविंगस्टन को आउट किया और फिर दो और विकेट लिए. उन्होंने 19वें ओवर में सिर्फ 6 रन दिए और ओवर्टन का अहम विकेट लिया. इसके बाद इंग्लैंड की टीम हार गई. कनकशन सब्सटीट्यूट के नियम ने इंग्लैंड को नुकसान पहुंचाया. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने भी इस पर सवाल उठाए. वहीं, भारतीय क्रिकेट के पूर्व खिलाड़ी आकाश चोपड़ा के मुताबिक, कनकशन सब्सटीट्यूट के तहत रमनदीप सिंह को शिवम दुबे की जगह लेना चाहिए था, यानी वे भी हर्षित राणा के फैसले से सहमत नहीं थे.

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01 February 2025, 06:52 AM IST

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